निर्वाचन आयोग हमेशा मोदी सरकार के हाथों की ‘कठपुतली’ रहा है: कपिल सिब्बल

Last Updated 13 Jul 2025 02:07:14 PM IST

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग हमेशा से मोदी सरकार के हाथों की ‘‘कठपुतली’’ रहा है।


उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक ‘‘असंवैधानिक’’ कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बहुसंख्यकवादी सरकारें सत्ता में बनी रहें।

पूर्व कानून मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में यह भी आरोप लगाया कि प्रत्येक निर्वाचन आयुक्त ‘‘इस सरकार के साथ मिलीभगत करने’’ में एक-दूसरे से आगे रहता है।

बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) के पास नागरिकता के मुद्दों पर फैसला करने का अधिकार नहीं है।

निर्वाचन आयोग का कहना है कि 22 वर्षों के बाद हो रहे इस पुनरीक्षण से मतदाता सूची से अपात्र लोगों, ‘डुप्लिकेट’ प्रविष्टियों को हटाया जाएगा तथा कानून के अनुसार मतदान के पात्र लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा।

एसआईआर को लेकर निर्वाचन आयोग पर विपक्ष के हमले के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘जब से यह सरकार सत्ता में आई है, तब से यह (निर्वाचन आयोग) लंबे समय से सरकार के हाथों की कठपुतली रहा है।’’

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के आचरण के बारे में जितना कम कहा जाए उतना ही बेहतर है।

एसआईआर पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरे अनुसार यह पूरी तरह से असंवैधानिक प्रक्रिया है। आयोग के पास नागरिकता के मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और वह भी एक ब्लॉक स्तर के अधिकारी द्वारा।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मैं कहता रहा हूं कि वे (भाजपा) किसी भी तरह चुनाव जीतने के लिए हरसंभव हथकंडा अपनाते हैं। दरअसल, विशेष गहन पुनरीक्षण की यह पूरी प्रक्रिया आने वाले समय में बहुसंख्यकवादी सरकारों को बनाए रखने की प्रक्रिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यही मंशा है क्योंकि अगर आप गरीब लोगों, हाशिए पर पड़े लोगों, आदिवासियों के नाम हटा देंगे, तो आप यह सुनिश्चित कर देंगे कि बहुसंख्यकवादी पार्टी हमेशा जीते। इसलिए यह सुनिश्चित करने का एक और तरीका है तथा यह बहुत चिंताजनक है।’’

सिब्बल ने कहा कि उन्होंने हमेशा कहा है कि उन्हें निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता पर बिलकुल भी विश्वास नहीं है, क्योंकि इस संस्था ने वह स्वतंत्रता प्रदर्शित नहीं की है जिसकी उससे अपेक्षा की जाती है।

उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश पर सिब्बल ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह इस मामले में वकील हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि अदालत ने जो कुछ भी कहा है, निर्वाचन आयोग उसे ध्यान में रखेगा। ताकि यह विवाद आगे न बढ़े।’’

संसद के मानसून सत्र के शुरू होने का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा कि एसआईआर का मुद्दा आज चर्चा में आए किसी भी अन्य मुद्दे से अधिक महत्वपूर्ण है।

उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र का मुद्दा भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ‘‘निर्वाचन आयोग अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि केवल उन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में अचानक वृद्धि कैसे हुई, जहां भाजपा जीती है।’’

भाषा
नई दिल्ली


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