UPSC result : शीर्ष पर बालिकाएं

Last Updated 25 May 2023 01:20:09 PM IST

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (union public service commission) के 2022 के नतीजों में लड़कियों ने कमाल कर दिया। पहले चारों स्थान फतेह किये।


शीर्ष पर बालिकाएं

पहले स्थान पर इशिता किशोर व दूसरे स्थान पर गरिमा लोहिया आई। दोनों दिल्ली विविद्यालय से स्नातक हैं। तीसरे व चौथे स्थान पर उमा हरती व स्मृति मिश्रा रहीं। उमा आईआईटी, हैदराबाद से बीटेक हैं, स्मृति डीयू से स्नातक हैं। बीते साल भी पहले तीन स्थानों पर लड़कियां ही थीं। 933 उम्मीदवारों ने इस वर्ष यह परीक्षा उत्तीर्ण की। इनमें 320 लड़कियां हैं। कमीशन के अनुसार, शीर्ष 10 में 6 व 25 में 14 लड़कियां रहीं। बीते तेरह सालों में आठवीं बार लड़कियों ने शीर्ष स्थान पाया है।

छह सालों से लगातार लड़कियों की भागीदारी यूपीएससी में बढ़ती जा रही है। इस दफा ग्यारहवां स्थान पाने वाली प्रसन्नजीत कौर ने बिना किसी कोचिंग के खुद पढ़ाई की और सारी तैयारी इंटरनेट से की। वह जम्मू यूनिवर्सिटी से परास्नातक हैं। लड़कियों ने पढ़ाई के महत्त्व को तो समझ ही लिया है। वे अब सामान्य व सुविधाजनक नौकरियों की बजाय अपने सपनों का काम चुन रही हैं। इसके लिए जबरदस्त मेहनत कर रही हैं और अजरुन की तरह सिर्फ लक्ष्य तय कर रही हैं।

कुछ टॉपर्स का यह तीसरा या चौथा प्रयास था जिन्होंने हताश होने की बजाय अपनी लगन को मजबूती प्रदान की। इनमें से कई ने बताया भी उन्हें अहसास था कि इस बार वे सफल जरूर होंगी। पर शीर्ष सूची में शामिल होने का अंदाजा ना था। बीस में से सोलह टॉपर अकेले उत्तर भारत से हैं जहां ना तो पढ़ने की विशेष सुविधाएं हैं, ना ही माहौल बहुत सकारात्मक है। इसके बावजूद देश के सर्वाधिक सम्मानित सरकारी ओहदे तक पहुंचने का सपना साकार करने वालों ने अथक प्रयासों से साबित कर दिया कि जहां चाह, वहां राह।

खासकर अपने यहां लड़कियों ने बड़ी लाइन ही नहीं खींची, बल्कि पिछली पीढ़ी के संघर्ष से सीख भी ली। वे सिर्फ कॅरियर ही नहीं बना रहीं। समाज के लिए कुछ करने का जज्बा भी रखती हैं। शीर्ष में जगह बनाने वाली लड़कियों का अपना-अपना संघर्ष है। अमूमन ये आम परिवारों से हैं जिनके साथ परिवार का सहयोगात्मक रवैया रहा। कुछ ही समय पहले तक मध्यवर्गीय परिवार अपनी बच्ची के नौकरी करने के पक्ष में नहीं होते थे। निश्चित तौर पर ये नई अधिकारी समाज को नई दिशा देने में सक्षम होंगी। लड़कियों की सफलता हर दफा समाज में स्त्री के स्तर को संवारने का काम करती है। साबित करती है, स्त्री दोयम नहीं है, वह चाहे तो शीर्ष उसका है।



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