नीतीश कुमार का एकता का पुरजोर प्रयास

Last Updated 26 Apr 2023 01:23:46 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपने सहयोगी दल राजद के तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) के साथ विपक्षी एकता के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं।


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

अभी तक की उनकी कवायद से इतना तो साफ हो जाता है कि कांग्रेस (Congress) से अलग हटकर सोचने वाली राजनीतिक पार्टियों को साथ लाने पर नीतीश का जोर है। जिस तरह से दोनों नेता कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) और लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव (AKhilesh Yadav) से मिले, उसके गहरे निहितार्थ हैं।

इस मुलाकात की खास बात ममता का यह ऐलान कि वह सभी लोग एक हैं और एकजुट होकर BJP को केंद्र की सत्ता से हटाएंगे। ममता के इससे पहले के बयानों पर गौर करना बेहद जरूरी है। पहले ममता ने कहा था कि वह 2024 का चुनाव अकेले लड़ेंगी। नीतीश से भेंट के बाद ममता के विचारों में आया बदलाव BJP के लिए थोड़ा असहज करने वाले हालात पैदा करता है।

इससे पहले नीतीश दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात कर चुके हैं। प. बंगाल में लोक सभा की कुल 42 सीटें हैं, जिस पर 2019 के चुनाव में ममता की पार्टी ने 22 तो भाजपा ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

ममता का यह वक्तव्य भी गौर करने लायक है कि बिहार से इसकी शुरुआत होना अच्छी बात है। फिलवक्त, विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश पहली नजर में कारगर होती दिखती है। क्योंकि अभी नेतृत्व के मसले को इस कवायद से अलग रखा गया है। पूरा फोकस सभी दलों को एक प्लेफार्म पर लाना और मुद्दों को तय करने पर केंद्रित रखा गया है। हां, इनके लिए बड़ी चुनौती न केवल बाकी क्षेत्रीय दलों मसलन-तेलंगाना के केसीआर, आंध्र के जगन मोहन रेड्डी, वामपंथी दलों और कांग्रेस को साधने की है।

भाजपा भी विपक्षी दलों की कवायद को हल्के-फुल्के अंदाज में इसलिए लेती रही है कि भाजपा के खिलाफ जितनी भी पार्टियां हैं, वह कभी भी एक मंच पर नहीं आ सकती हैं। वैसे, भाजपा के इस तर्क में दम भी है। वह इसे विशुद्ध रूप से अवसरवादिता की संज्ञा देती है।

मगर जिस तरह से बड़े हेवीवेट दलों के नेताओं से नीतीश संवाद कर रहे हैं, उसे हल्के में लेने की भूल भाजपा को भारी भी पड़ सकती है। तैयारियों का सिलसिला चल पड़ा है और यह देखना दिलचस्प होगा कि दलों की एकजुटता में कौन वजनी पड़ता है।



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