आत्महत्या का गणित

Last Updated 19 Apr 2023 01:14:04 PM IST

आत्महत्या (suicide) के प्रयासों को अपराध के दायरे में रखने वालों को महसूस होने लगा है कि ऐसे लोगों को दंडित करने से उन्हें आत्महत्या (suicide) से नहीं रोका जा सकता।


आत्महत्या का गणित

बल्कि वे अपनी इस मानसिक हालत को बताने से कतराता है। आत्महत्या का प्रयास (suicide attempt) करने को अब मलेशिया (Malaysia) भी अपराध से बाहर करने के लिए समीक्षा कर रहा है। दुनिया के बीस देशों में अभी भी यह अपराध माना जा रहा है। जिन देशों में आत्महत्या के प्रयासों का गैर-अपराधीकरण हुआ, वहां मिला-जुला असर देखने को मिला। विश्व स्वास्थ संगठन (World Health Organization) के अनुसार, सात लाख से अधिक लोगों ने 2019 में विश्व में खुदकुशी की। हर एक लाख में नौ की मौत का कारण आत्महत्या थी। जो 2000 में हर एक लाख में चौदह थी।

आत्महत्या मनोवैज्ञानिक समस्या  (suicide psychological problem) है। यह स्थिति नहीं है, परिस्थिति है। अपने देश में तेजी से आत्महत्या के मामले बढते जा रहे हैं। बीते साल सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर रोज 450 लोगों ने आत्महत्या की। हर लाख लोगों में बारह आत्महत्या करते हैं। ये संख्या जिंदगी खत्म करने वालों की है। जो इसकी कोशिश हैं, उनकी संख्या तो इससे बहुत ज्यादा है। भारत में आईपीसी की धारा 309 को खत्म कर दिया गया, जिसके अनुसार अब खुदकुशी का प्रयास करने वालों को कोई सजा नहीं होगी।

पहले इसमें एक साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान था। कोविड महामारी के बाद सारी दुनिया में आत्महत्याओं के मामले बढ़े (Cases of suicides increased in the world after the Covid epidemic) हैं। लोगों में अवसाद घर कर रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं, अपने करीबियों, परिवार वालों, मित्रों की बातों, उनकी हरकतों और विचारों को गंभीरता से लेना सीखना चाहिए। क्योंकि कोई भी शख्स जो अपनी जान लेने पर उतारू हो जाता है, वह लगातार संकेत देता है। वह जिंदगी से उकता जाता है। कारण कोई हो।

पढ़ाई का बोझ, प्रेम पीड़ा, संबंध विच्छेदन, बेरोजगारी, आर्थिक दिक्कतें, लंबी बीमारी, घरेलू कलह व नशेबाजी के चलते लोग अपनी जान लेने पर उतारू हो जाते हैं। इनकी मनोदशा का सम्मान करते हुए, समझदारी दिखानी चाहिए। हकीकत है, जैसे-जैसे शिक्षा का दायरा बढ रहा है। लोगों में जागरूकता आ रही है। अब मनोचिकित्सक के पास जाना सामान्य हो रहा है। लोग आत्महत्या का प्रयास करने वाले या इस बारे में सोचने वाले के प्रति बदल रहे हैं। खुदकुशी करने वाला अपराधी नहीं है, बल्कि स्थितियां या मानसिक जकड़न ने उसे इस मुहाने पर ला पटका। हम चाहें तो उसे बचा सकते हैं। 

समयलाइव डेस्क


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