नहीं रहे मुर्शरफ
करगिल में घुसपैठ के जरिए भारत की भूमि पर कब्जे की साजिश रचने वाले पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष एवं पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ नहीं रहे।
नहीं रहे मुर्शरफ |
पूर्व तानाशाह ने 79 साल की उम्र में निर्वासन के दौरान दुबई के अस्पताल में दम तोड़ दिया। 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट कर लोकतांत्रिक सरकार गिराने वाले मुशर्रफ ने नौ साल तक पाकिस्तान पर शासन किया। सत्ता छोड़ने से पहले खुद को प्रगतिशील मुस्लिम नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की लेकिन अवाम का दिल जीतने में विफल रहे। मुशर्रफ 1943 में दिल्ली में जन्मे थे। विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था।
मुशर्रफ ने भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच लाहौर में हुए ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ महीने बाद ही करगिल में घुसपैठ का षडय़ंत्र रचा था जिसे भारतीय सेना ने संक्षिप्त युद्ध के बाद विफल कर दिया था। करगिल में हार के बाद मुशर्रफ ने 1999 में शरीफ का तख्तापलट कर उन्हें अपदस्थ कर दिया। पहले खुद को पाकिस्तान का मुख्य कार्यकारी घोषित किया और बाद में राष्ट्रपति बन बैठे।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते 2008 में चुनाव की घोषणा करने वाले मुशर्रफ को चुनाव बाद इस्तीफा देना पड़ा और वह स्व-निर्वासन में दुबई चले गए। 2010 में उन्होंने अपनी पार्टी ‘ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ बनाई और इसके अध्यक्ष बने। लगभग पांच साल स्व-निर्वासन में रहने के बाद मार्च, 2013 में चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटे। सत्ता से हटने के बाद मुशर्रफ कभी चैन से नहीं रह सके।
उन्हें 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या, पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद छह के तहत राजद्रोह और बुगती जनजाति के प्रमुख नवाब अकबर खान बुगती की हत्या के आरोप में अदालत में घसीटा गया। 2019 में मुशर्रफ को अदालत ने उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई जिसे लाहौर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। उन्हें तीन नवम्बर, 2007 में आपातकाल लागू करने के लिए देशद्रोह का दोषी पाया गया। 9/11 हमले के बाद मुशर्रफ ने अमेरिका का साथ देने का वादा किया। मुशर्रफ 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन के लिए भारत यात्रा पर आए थे और 2005 में भारत-पाक क्रिकेट मैच देखने के लिए भी पहुंचे थे।
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