सुप्रीम कोर्ट में पांच और जज

Last Updated 06 Feb 2023 01:26:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है। विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी अधिसूचनाओं के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीबी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस मनोज मिश्रा को पदोन्नत करके सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।


सुप्रीम कोर्ट में पांच और जज

पांचों न्यायाधीश संभवत: सोमवार को पदभार ग्रहण कर लेंगे और इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 32 हो जाएगी जबकि पदों की स्वीकृत संख्या 34 है यानी अभी भी दो पद रिक्त हैं।

इन न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के छह सदस्यीय कॉलेजियम ने 13 दिसम्बर, 2022 को की थी लेकिन नियुक्ति में विलंब के चलते संशय की स्थिति बन गई थी। कॉलेजियम को लेकर शीर्ष अदालत और सरकार के बीच तल्ख टिप्पणियां भी हुई। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों को रोक कर बैठी है। अदालत ने चेताया था कि उसे स्टैंड लेने पर मजबूर न किया जाए।

शनिवार को इस पर पलटवार करते हुए कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि देश संविधान और जनता की सोच से चलेगा। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के 150वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सुप्रीम कोर्ट की (कॉलेजियम को लेकर) चेतावनी का जिक्र हुआ है, लेकिन कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता।

बेशक, इन नियुक्तियों से बयानों में झलक रही तल्खी छंटेगी। पदों के रिक्त रहने से अदालत पर कार्य का बोझ यकीनन ज्यादा है। शीर्ष अदालत ही नहीं, बल्कि देश भर में अदालतों पर काम का बोझ बेहद ज्यादा है, जिसे कम करने के लिए जोरदार प्रयास किए जाने जरूरी हैं।

गौरतलब है कि अदालतों में अभी 4 करोड़  90 लाख मामले विचाराधीन हैं। स्थिति यह हो चली है कि मध्यस्थता प्राधिकरण के बावजूद अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम होती नजर नहीं आ रही। लोगों को लगता है कि अदालतें काम नहीं कर रही हैं।

न्यायाधीश मेहनत से जितने मामलों का निपटारा करते हैं, उतनी ही संख्या में नये मामले आ जाते हैं। मैनपावर के साथ ही तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाकर मामले निपटाने के प्रयास हो रहे हैं। मध्यस्थता के जरिए सुलह कराकर भी अदालतों पर बोझ कम करने प्रयास किए जा रहे हैं। नये न्यायाधीशों की नियुक्ति को भी इन प्रयासों के तहत किए गए प्रयास की कड़ी के रूप में देखा जा सकता है।



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