गेमचेंजर नेजल वैक्सीन
गणतंत्र दिवस पर भारत ने विश्व की पहली नेजल कोविड वैक्सीन-इनकोवैक-लांच कर आमजन को बड़ी राहत दी है।
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यह वैक्सीन इसलिए बेहतर है क्योंकि यह म्यूकोसा में ही इम्युनिटी बना देता है। भारत बायोटेक की नाक से दी जाने वाली इस वैक्सीन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने लांच किया। नेजल टीके ‘बीबीवी 154’ को हीट्रोलोगस बूस्टर खुराक के रूप में वयस्कों में सीमित उपयोग के लिए नवम्बर में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी मिली थी।
निश्चित तौर कोरोना महामारी के कुछ ही महीनों बाद वैक्सीन की शुरुआत करने वाले भारत ने अब नाक से दवा देने वाली वैक्सीन देकर वाकई बड़ा काम किया है। और इस वैक्सीन के विकास और उत्पादन से भारत की छवि मजबूत होगी। पूरी दुनिया ने कोरोना महामारी के वक्त भारत के सहयोग और शोध का फायदा उठाया। भारत ने बिना किसी भेदभाव के चीन व कुछेक देशों को छोड़कर ज्यादातर देशों को ‘कोवैक्सीन’ और ‘कोविशील्ड’ की आपूर्ति की थी।
भारत की इस ‘वैक्सीन कूटनीति’ का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ था कि कई देश इस जानलेवा महामारी की चपेट में आने से बच गए और लाखों लोगों को समय रहते बेहद कारगर वैक्सीन मुहैया कराई गई। सरकार ने आधिकारिक तौर पर यह कहा भी कि विश्व में 65 फीसद से अधिक वैक्सीन की आपूर्ति भारत से की गई। यानी यह आत्मनिर्भर और मजबूत होते भारत की तस्वीर है, जिसने विश्व भर को भारत की नवाचार क्षमता से अवगत कराया। शुरुआत में इनकोवैक वैक्सीन निजी अस्पतालों में उपलब्ध होगी, जिन्होंने इसे बनाने वाले -भारत बायोटेक-को ऑर्डर दिया है।
गौरतलब है कि तीन चरणों में क्लीनिकल परीक्षणों में इस टीके के सफल परिणाम आए। इस वैक्सीन की खास बात यह है कि यह लगाने के 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है। नेजल डोज न केवल कोरोना से आमजन की रक्षा करेगा बल्कि बीमारी के प्रसार को भी रोकेगा। मरीजों में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। कुल मिलाकर कोविड के विरुद्ध लड़ाई में नेजल वैक्सीन कई मायनों में गेमचेंजर साबित होगी और इससे निश्चित तौर पर सभी को फायदा पहुंचेगा।
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