भ्रष्टाचार के दुश्मन
प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आम तौर पर किसी पद पर किए गए अच्छे काम के लिए जाने जाते हैं। इसमें उनके विभागीय मंत्रियों के साथ तालमेल और दीर्घकालीन अनुभव की अहम भूमिका होती है।
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बहुत से अधिकारी पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड तोड़ने में नाम कमाते हैं। इनसे इतर कुछ प्रशासनिक अधिकारी धुन के पक्के और भ्रष्टाचार के दुश्मन के तौर पर नाम कमाते हैं, और एवज में जीवन भर तबादले इत्यादि से त्रस्त रहते हैं। हरियाणा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अशोक खेमका अपने तीन दशक के कॅरियर में 50 से अधिक तबादले झेल चुके हैं। वह बेहद ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। लगभग 31 साल के कॅरियर में उनकी 56वीं तैनाती पर वे फिलहाल अभिलेखागार विभाग में तैनात हैं।
इतने तबादलों के बाद उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर उन्हें सतर्कता विभाग में तैनात करने की मांग की है। उनके साथ के कई अफसर इस बीच पदोन्नत होकर केंद्र सरकार में सचिव के पद पर जा पहुंचे लेकिन खेमका को कई बार ऐसे पदों पर नियुक्त किया गया, जिन्हें राज्य में ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं माना जाता। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अपने साथ हुए व्यवहार के कारण खेमका की पीड़ा उजागर हुई है। उनके अनुसार भ्रष्टाचार को खत्म करने की धुन के चलते उन्होंने अपने सेवा कॅरियर की ‘कुर्बानी’ दे दी। अब अभिलेखागार विभाग में हैं, जहां ज्यादा काम नहीं है। कुछ अधिकारियों पर कई प्रभार और विभागों का बोझ है, जिसके चलते हमेशा युद्ध स्तर पर काम करते रहना होता है।
उनके इस कथन से सहमत हुआ जा सकता है कि काम का एकतरफा आवंटन जनहित में नहीं होता। 1991 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी खेमका 2012 में राष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने गुरुग्राम में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक जमीन सौदे के मालिकाना हक के स्थानांतरण से जुड़ी दाखिल खारिज प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किए बिना एक नागरिक के अपनी वास्तविक क्षमता को हासिल करने के सपने को कभी भी साकार नहीं किया जा सकता। इससे वह रोजाना अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने तक सिमट कर रह जाएगा। एक कट्टर ईमानदार अधिकारी अपने सेवा कॅरियर के अंत में भी कुछ कर गुजरना चाहता है। इसलिए उन्हें सतर्कता विभाग के प्रमुख के रूप में तैनाती देकर उनकी भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।
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