टकराव के बीच युद्धाभ्यास

Last Updated 23 Jan 2023 01:53:37 PM IST

चीन की घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय वायु सेना पूर्वोत्तर में अगले कुछ दिनों में वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) के पास युद्धाभ्यास करेगी।


टकराव के बीच युद्धाभ्यास

शिलॉन्ग में भारतीय वायु सेना की पूर्वी कमांड का मुख्यालय है, जिसके पास पूर्वोत्तर में हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के साथ ही चीन की सीमा की निगरानी रखने की भी जिम्मेदारी है। युद्धाभ्यास में वायु सेना अपने सभी हवाई अड्डों को शामिल करेगी। इस अभ्यास का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारतीय वायु सेना ने क्षेत्र में एस-400 वायु रक्षा स्क्वाड्रन को तैनात और सक्रिय किया है। यह स्क्वाड्रन दुश्मन के किसी भी विमान या मिसाइल को 400 किमी. दूर से ही मार गिराने में सक्षम है।

थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी शनिवार को पूर्वी कमान मुख्यालय के दौरे के दौरान अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से लगती एलएसी पर भारतीय सेना की युद्ध तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। जनरल पांडे का यह दौरा इस लिहाज से अहम है कि कुछ हफ्तों पहले ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग से लगती एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। पूर्वी कमान पर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से लगती एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।

इस कमान का मुख्यालय कोलकाता में है। इस प्रकार सेना और वायु सेना कमांड स्तर स्तर पर अपनी तैयारियों को चाक-चौबंद करने में जुटी हैं। वायु सेना ने तो अभी कुछ महीनों पहले ही कमांडस्तरीय अभ्यास किया था। इस प्रकार कुछ ही महीनों बाद वह दूसरा कमांडस्तरीय अभ्यास कर रही है। कमांडस्तरीय इस दूसरे अभ्यास में राफेल और सुखोई-30 एमकेआई समेत अग्रणी लड़ाकू विमानों के हिस्सा लेने की उम्मीद है।

दरअसल, चीनी लड़ाकू विमान एलएसी के बहुत करीब से जब-तब उड़ानें भरते हैं, या कई दफा भारतीय चौकियों और ठिकानों की तरफ बढ़ते दिखाई देते हैं। हालांकि भारतीय सैनिक उनकी कोशिशों को तत्काल नाकाम कर देते हैं। चीन से सटी सीमा पर इस प्रकार से सेना की मुस्तैदी ऐसा टीम वर्क है, जिससे किसी भी तरह के खतरे से अच्छे से निबटा जा सकता है। परस्पर सहयोग और टीम भावना के चलते ही भारत ने पहले भी अपनी मजबूती का लोहा मनवाया है। चीन अपनी आंतरिक प्रतिकूल परिस्थितियों से हताश है, और दिनोंदिन सरकार के खिलाफ आंतरिक आक्रोश, जीरो कोविड नीति के क्रियान्वयन के दौरान भड़की हिंसा में जैसा कि हम देख चुके हैं, बढ़ने से चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए मोच्रे पर मुस्तैदी जरूरी है।



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