बाइडेन के घर तलाशी
राजनेता हमेशा संविधान और कानून के दायरे में होते हैं, चाहे वह पद पर हों या नहीं, लेकिन उच्च पद की गरिमा हमेशा उनसे जुड़ी होती है।
बाइडेन के घर तलाशी |
इस गरिमा की रक्षा करना हमेशा उनका दायित्व बना रहता है। एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने राष्ट्रपति जो. बाइडेन के डेलावेयर के विलमिंग्टन स्थित आवास की तलाशी ली और छह ऐसे दस्तावेज बरामद किए जो गोपनीय के तौर पर चिह्नत थे। यह दस्तावेज सीनेटर और उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके कार्यकाल के समय के हैं। यह तलाशी 13 घंटे तक चली। खास बात यह कि इस तलाशी की मंजूरी खुद बाइडेन ने दी थी।
राष्ट्रपति के पद पर बैठे व्यक्ति के घर की तलाशी की घटना असाधारण है। बाइडन को 12 जनवरी को यह खुलासा होने के बाद शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी कि उनके वकीलों को मध्यावधि चुनाव से ठीक पहले वाशिंगटन स्थित उनके एक पूर्व कार्यालय से गोपनीय कागजात मिले हैं। गोपनीय दस्तावेजों का मिलना बाइडन के लिए राजनीतिक जवाबदेही बन गया है, क्योंकि वह फिर से चुनाव लड़ने के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की तैयारी में जुटे हैं। यह घटना पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उतार-चढ़ाव भरे कार्यकाल के बाद अपने कार्यकाल को अमेरिकी जनता के सामने बेहतर दिखाने की बाइडेन की कोशिश को नुकसान पहुंचाएगी।
अभी न्याय विभाग ने बरामद दस्तावेजों की समीक्षा नहीं की है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि गोपनीयता का क्या स्तर है और क्या एफबीआई द्वारा हटाए गए दस्तावेज गोपनीय बने हुए हैं या नहीं। बाइडेन ने 1973 से 2009 तक सीनेटर के तौर पर सेवाएं दी थीं। आमतौर पर किसी दस्तावेज को 25 सालों तक ही गोपनीय रखा जाता है। बाइडेन के यह कहने के बाद कि हमने पाया कि बड़ी संख्या में दस्तावेज गलत जगह पर हैं, तो हमने उन्हें तत्काल न्याय विभाग को सौंप दिया उनकी निष्ठा पर संदेह करना मुश्किल लगता है, लेकिन मामले ने ट्रंप द्वारा राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद गोपनीय दस्तावेज और आधिकारिक रिकॉर्ड अपने पास रखे जाने संबंधी न्याय विभाग की जांच को जटिल बना दिया है। ट्रंप 2021 के शुरू में व्हाइट हाउस से सैकड़ों गोपनीय दस्तावेज ले गए थे। बाद में दस्तावेजों से भरे कई बक्से इधर-उधर फेंक दिए गए थे। एफबीआई को इसके बाद ट्रंप के घर भी छापेमारी करनी पड़ी थी।
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