सैन्य हस्तक्षेप की आशंका?

Last Updated 05 Apr 2022 01:32:40 AM IST

पाकिस्तान के गृह मंत्री ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री इमरान खान आखिरी बॉल तक खेलेंगे। उनका कहना सच हुआ।


सैन्य हस्तक्षेप की आशंका?

क्रिकेटर से प्रधानमंत्री बने इमरान ने राजनीतिक गुगली डाली है या यॉकर्र या रिवर्स स्विंग; यह तो क्रिकेट की भाषा और शैली है, लेकिन विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करके, नेशनल असेंबली को भंग कर नये चुनाव की घोषणा करने का यह अर्थ नहीं है कि सरकार और विपक्ष के बीच चल रहा मैच खत्म हो गया। अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले और नेशनल असेंबली को भंग करने के मामले की सुनवाई सर्वोच्च अदालत में चल रही है।

फैसला किसी के पक्ष में आ सकता है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री इमरान ने कहा है कि मुल्क के खिलाफ गद्दारों की साजिश नाकाम हुई है। अब चुनाव की तैयारी करें। मान लिया जाए कि लोकप्रियता के आधार पर इमरान चुनाव जीत भी जाते हैं तो क्या उनकी और पाकिस्तान की समस्या का अंत हो जाएगा। इसका बहुत सहज उत्तर है नहीं। इमरान खान का मानना है कि उनकी सरकार गिराने में विदेशी शक्तियों का हाथ है। उन्होंने खुलकर कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय में सेंट्रल एशिया विभाग के असिस्टेंट सेक्रेटरी डॉनल्ड लू उनकी सरकार गिराने की साजिश में शामिल रहे हैं। इमरान खान की यह राजनीतिक अपरिपक्वता है। उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि राजनयिक इस तरह के पत्र लिखते रहते हैं और उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता।

इमरान ने इस पत्र के कुछ हिस्सों को सार्वजनिक करके अमेरिका महाशक्ति को नाराज किया है। पाकिस्तान जैसा मुल्क अमेरिका या पश्चिमी देशों के विरुद्ध मुहिम चलाने की स्थिति में नहीं है। इमरान की यह कार्रवाई जल में रहकर मगरमच्छ से बैर जैसे मुहावरे को चरितार्थ करती है। विश्व बैंक, आईएमएफ जैसी वित्तीय संस्थाओं पर अमेरिका और पश्चिमी देशों का प्रभाव है। गरीबी, महंगाई और कर्ज में डूबे पाकिस्तान को विदेशी कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा।

इसलिए पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष ने इमरान की राजनीतिक भूल को सुधारने के लिए यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई को छोटे देशों पर हमले की संज्ञा देकर अमेरिका को खुश करने की कोशिश की। यह राजनीतिक यथार्थ है कि पाकिस्तान अमेरिका को चुनौती नहीं दे सकता। अभी पाकिस्तान में जिस तरह का सियासी संकट चल रहा है, उसके मद्देनजर यह कहना मुश्किल है कि सेना कब तक तटस्थ रहेगी। वह देर-सबेर हस्तक्षेप कर सकती है, लिहाजा सैनिक शासन का खतरा बना हुआ है।



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