प्रगा का करिश्माई प्रदर्शन
सोमवार को शतरंज की दुनिया में एक भारतीय सितारे ने विश्व के शीर्ष खिलाड़ी मैगनस कार्लसन को सिर्फ 39वीं चालों में शिकस्त देकर बड़ा उलटफेर किया।
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यह भारतीय खिलाड़ी दरअसल 16 साल का आर. प्रगनाननंदा (प्रगा) है जिन्होंने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स में अपने खेल से हर किसी को विस्मृत कर दिया है। हालांकि प्रगनाननंदा ने उस वक्त भी विश्व को हैरान कर डाला था जब वह सबसे कम उम्र में भारतीय ग्रैंडमास्टर बने थे और भारतीय शतरंज के शिखर खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का रिकार्ड तोड़ा था।
कार्लसन की शिकस्त इस मायने में चौंकाती है कि वह फिलवक्त शतरंज के सर्वोच्च शिखर पर हैं, वे पांच बार के विश्व चैंपियन हैं और करीब 10 साल से विश्व के नंबर एक खिलाड़ी हैं। प्रगनाननंदा की इस हैरतअंगेज जीत के बाद बधाइयां का तांता लगा हुआ है। विश्वनाथन आनंद ने तो उनकी प्रतिभा को सलाम ठोका तो क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने उन्हें अद्भुत बताया और भारत के लिए गौरवान्वित करने वाला पल बताया। अलबत्ता क्रिकेट को ही ओढ़ने-बिछाने वाले देश में इस खबर को वैसी सुर्खियां नहीं मिली जिसकी यह हकदार थी। दरअसल, क्रिकेट की दीवानगी वाले देश में ऐसा होना लाजिमी है।
फिर भी प्रगनाननंदा की उपलब्धि और इस खेल से प्यार करने की समझदारी का मौका न तो सरकार को बिसारना चाहिए न शतरंज को पसंद करने वालों को। दिल को छू लेने वाला प्रकरण यह है कि विभिन्न खेलों में अब बेहद सामान्य परिवार से प्रतिभाएं निकलने लगी हैं। अभी पखवाड़े भर पहले अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट जीतने वाली भारतीय टीम में कुछेक खिलाड़ी बेहद साधारण परिवार के थे।
इन्होंने अपनी लगन, कर्मठता, अनुशासन और परिवार के अनन्य सहयोग से मिसाल कायम की। प्रगनाननंदा भी ऐसे ही बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बैंक में काम करने वाले पोलियोग्रस्त पिता ने प्रगा को कोचिंग दिलाने के वास्ते उधार में रुपये लिये। प्रगा के इस करिश्माई खेल से आज हर भारतीय गदगद है। देखना है, सरकार ऐसी प्रतिभाओं की उन्नति और बाकी सुविधाओं के लिए क्या करती है? देश को ऐसे ‘हीरे’ को संभाल कर सदा के लिए रखने की जरूरत है, साथ ही नये-नवेलों को भी तराशने की दरकार है।
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