चीन को मिर्ची लगी

Last Updated 15 Feb 2022 12:33:10 AM IST

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत की सहभागिता वाले संगठन क्वॉड के विदेश मंत्री पिछले हफ्ते शुक्रवार को मेलबर्न में मिले।


चीन को मिर्ची लगी

इन नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों के अलावा जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 के टीकों, साइबर सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपदाओं के प्रबंधन व बचाव कार्य, क्षेत्र में जल-सुरक्षा में सहयोग और मछलियों का अवैध शिकार रोकने जैसे मुद्दों पर चर्चा की। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का मुद्दा भी बैठक में प्रमुखता से उठा। सुखद बात है कि चारों देशों के बीच ‘दादागीरी-मुक्त क्षेत्र’ बनाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति बनी। इसे चीन पर सीधी टिप्पणी के तौर पर देखा जा सकता है।

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि पिछली बार जब क्वॉड विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, तब से दुनिया के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक हालात ज्यादा जटिल हो चुके हैं। हम एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं, जो क्षेत्रीय संप्रभुताओं को माने। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात इसलिए बिगड़े क्योंकि चीन ने लिखित समझौतों का भी सम्मान नहीं किया। किसी बड़े देश का लिखित समझौतों का अनादर करना पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए बड़ी चिंता की बात है। जयशंकर के इस वक्तव्य के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि क्वॉड जानबूझकर तनाव बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।

चीन की प्रतिक्रिया को संयत ढंग से लेते हुए क्वॉड ने कहा कि संगठन किसी देश के खिलाफ नहीं है, बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसे इसके दायरे से बाहर की बात माना जाए। क्वॉड को रणनीतिक और आर्थिक सहयोग के लिए काम करने वाला संगठन माना जाता है, लेकिन वस्तुत: यह चीन की प्रभुत्वकारी नीतियों के मुकाबले के लिए बना संगठन है। इसमें शामिल चारों देश वे हैं, जिनका चीन से 36 का आंकड़ा है। भारत और चीन के बीच पुराना सीमा विवाद है।

जापान और चीन ऐतिहासिक कारणों से एक दूसरे के विरोधी हैं, जबकि अमेरिका चीन की आक्रामक आर्थिक नीतियों से आजिज है। वहीं ऑस्ट्रेलिया भी चीन के साथ व्यापारिक तनाव से गुजर रहा है। अलबत्ता, क्वॉड का भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। भारत की पैरवी से क्वॉड के सदस्य देशों जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ सहयोग से दक्षिण एशिया के देशों को सुरक्षा विकल्प मिलेंगे। इससे भारत के साथ उनके संबंध अधिक मजबूत और मधुर होंगे।



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