‘दीमक’ को खत्म करना होगा

Last Updated 01 Feb 2022 02:22:30 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह बात सौ फीसद सही है कि भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला करता है और हमें मिलकर जल्द-से-जल्द इससे मुक्ति पानी है।


‘दीमक’ को खत्म करना होगा

इस सप्ताह के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि, देश तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला करता है। उससे मुक्ति के लिए 2047 तक का इंतजार क्यों किया जाए? यह काम हम सभी देशवासियों को, आज की युवा-पीढ़ी को मिलकर करना है, बिना वक्त गंवाए करना है और इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। जहां कर्तव्य निभाने का एहसास होता है, कर्तव्य सर्वोपरि होता है, वहां भ्रष्टाचार फटक भी नहीं सकता।

प्रधानमंत्री ने यह बात उन्हें प्रयागराज की एक बालिका के अपने सपने के बारे में लिखी बातों के जवाब में कही। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत वर्ष के मौके पर उन्हें दुनिया भर से बच्चों के लिखे पत्रों और भावी भारत के बारे में उनकी आकांक्षाओं का उल्लेख किया। दूर क्रोएशिया के जगरेब से लेकर प्रयागराज सहित पूरे भारत के बच्चों की आकांक्षाओं का प्रधानमंत्री ने जिक्र किया। गुवाहाटी की एक छात्रा की तमन्ना है कि वो आजादी के 100वें साल में एक ऐसा भारत देखे, जो दुनिया का सबसे स्वच्छ देश हो, आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त हो, शत-प्रतिशत साक्षर देशों में शामिल हो, जहां कोई सड़क दुर्घटना नहीं हो, और टिकाऊ तकनीक से खाद्य सुरक्षा करने में सक्षम हो।

प्रधानमंत्री ने कहा जब युवा पीढ़ी इसे लक्ष्य बनाकर काम करेगी, तो भारत को जैसा बनाना चाहती है, वैसा जरूर होगा। चेन्नई के एक छात्र की इच्छा है कि चंद्रमा पर भारत का अपना शोध केंद्र हो, और मंगल पर भारत, मानव आबादी को बसाने का काम शुरू करे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि अब तक करीब साढ़े चार करोड़ बच्चों ने कोरोनारोधी टीके की खुराक ले ली है। भारत में बने टीके पर देशवासियों के भरोसे को उन्होंने बड़ी ताकत बताया।

उन्होंने बच्चों के साथ आजादी के संघर्ष, भारत के वीर जवानों, जनसेवा में लगे अनाम रह जाने वाले लागों और पर्यावरण के बारे में भी बातें साझा कीं। इन सब के बीच यह बड़ा अटपटा लगता है कि देश के बारे में चिंता जता रहे किसी भी बच्चे या युवा ने देश के कलुषित होते जा रहे माहौल पर चिंता न जताई हो, देश के नायकों को बच्चों को खुलकर अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यही सच्चे लोकतंत्र की पहचान है।



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