भारत की बढ़ी अहमियत
मध्य-एशिया के पांच प्रमुख देशों-कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने हाल ही में भारत की मेजबानी में हुए एक सम्मेलन में शिरकत की।
भारत की बढ़ी अहमियत |
27 जनवरी को हुए वर्चुअल सम्मेलन की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेजबानी की। सम्मेलन में भारत और इन सभी देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग और अफगानिस्तान में मानवीय संकट से निपटने पर सहमति बनी। भारत और चीन, दोनों मध्य-एशिया में पहुंच मजबूत करने में जुटे हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 25 जनवरी को कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं से वार्ता की थी।
भारत के पास जमीन के रास्ते मध्य-एशिया तक पहुंचने का रास्ता नहीं है। सड़क मार्ग से अफगानिस्तान और मध्य-एशिया पहुंचने में पाकिस्तान अड़चन है। ऐसी सूरत में भारत समुद्री मार्ग से मध्य-एशिया तक पहुंच बनाना चाहता है। सम्मेलन में भारत की निगरानी में बन रहे ईरान की चाबहार बंदरगाह परियोजना में आपसी सहयोग पर सहमति बनी है। समुद्र तक पहुंच बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह मुफीद है क्योंकि अफगानिस्तान और ये पांचों मध्य-एशियाई देश जमीन से घिरे हैं। भारत के लिए चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का बड़ा मकसद इस इलाके में व्यापार और अपनी मौजूदगी बनाए रखना है।
चाबहार के नजदीक पाकिस्तान के ग्वादर में भी चीन की मदद से बड़ा बंदरगाह बन रहा है। अतएव व्यापार, सामरिक रणनीति और कूटनीति के लिहाज से मध्य-एशिया की अहमियत काफी बढ़ी हुई है। भारत की चाबहार इलाके में रेलवे लाइनों और सड़कों का जाल बिछाने में 50 करोड़ डॉलर खर्च करने की योजना है। अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों की हालत दयनीय बनी हुई है। साथ ही, देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति भी चिंता का बड़ा कारण है।
भारत सहित इन मध्य एशियाई देशों को आशंका है कि अफगानिस्तान के हालात का फायदा उठाते हुए उसकी जमीन का इस्तेमाल पड़ोसी देशों में आतंकवाद फैलाने और नशे की चीजें पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। दिसम्बर, 2021 में भी भारत ने विदेश मंत्री स्तर के सम्मेलन की मेजबानी की थी। भारत इन देशों की आर्थिक और तकनीकी सहायता कर रहा है। सम्मेलन में अपनी बातें मनवा कर भारत ने चीन और पाकिस्तान को अपना बढ़ता प्रभाव दिखा दिया है।
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