प्रथम नागरिक की सीख

Last Updated 27 Jan 2022 05:47:51 AM IST

कोविड-19 महामारी की छाया में आए 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व-संध्या में अपने परंपरागत संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वाभाविक रूप से महामारी की चुनौती की विकरालता को रेखांकित किया है।


प्रथम नागरिक की सीख

यह लगातार दूसरा वर्ष है जब महामारी के साए में देश को अपना गणतंत्र दिवस मनाना पड़ा है। इस साल के समारोहों में किसी विदेशी मेहमान की नामौजूदगी, सैनिक परेड की लंबाई, परेड में शामिल झांकियों की संख्या, परेड द्वारा तय की जाने वाली दूरी और सबसे बढ़कर प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित रहकर परेड देखने वालों की संख्या, सभी में उल्लेखनीय कमी, इस आपदा की मौजूदगी की ही याद दिला रही थी। फिर भी राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि किस तरह, भारत की विशेष परिस्थितियों ने, विशेष रूप से भारत में आबादी ज्यादा सघन होने तथा भारत में पास संपन्न देशों जैसी सुविधाएं न होने ने, इस चुनौती को और भी बढ़ा दिया है।

देश के प्रथम नागरिक के नाते राष्ट्रपति ने स्वाभाविक रूप से इस असाधारण चुनौती का सामना करने में भारत के दृढ़ संकल्प का प्रदशर्न करने की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से केंद्र व राज्य सरकारों के सामूहिक उद्यम को सराहा, वहीं इस मुश्किल समय में तथा अपनी जान के लिए खतरे की भी परवाह न कर के, मानवता की सेवा करने के लिए डाक्टरों, नसरे तथा पैरामैडिक्स के प्रति, राष्ट्र की ओर से कृतज्ञता भी जताई। इसके साथ ही राष्ट्र परिवार के बुजुर्ग की हैसियत से राष्ट्रपति ने याद दिलाया कि महामारी का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है।

उन्होंने बार-बार हाथ धोने तथा लागातार मास्क का प्रयोग करने जैसे, इस खतरनाक वायरस से बचाव के उपायों के मामले में जरा भी ढील नहीं आने देने की अपील भी की। इसके साथ ही राष्ट्रपति कोविंद ने अर्थव्यवस्था के वर्तमान संकट से उबरने के संकेतों की ओर भी ध्यान खींचा। राष्ट्रपति ने जहां स्वतंत्रता के अमृत वर्ष के इस गणतंत्र दिवस पर ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाने का आग्रह किया, वहीं यह भी याद दिलाया कि भारत जनतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारे के मूलाधारों पर टिका हुआ है।

इसी प्रकार, अधिकारों और कर्त्तव्यों के बीच एक तरह का विरोध दिखाने की विभिन्न हलकों में तेज होतीं कोशिशों की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति ने प्रत्यक्ष रूप से किसी बहस में पड़े बिना, अधिकारों और कर्त्तव्यों की परस्पर पूरकता को रेखांकित किया। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्त्तव्यों का पालन, मौलिक अधिकारों के उपयोग के लिए समुचित वातावरण बनाता है।



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