वृद्धि दर बढ़ेगी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2022 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 9% कर दिया है।
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न केवल इतना, बल्कि 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि सबसे ज्यादा रहने की बात भी कही है। आईएमएफ की ओर से जारी साल की पहली र्वल्ड इकोन्ॉमी आउटलुक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। आईएमएफ की चीफ इकनॉमिस्ट गीता गोपीनाथन के मुताबिक विश्व अर्थव्यवस्था 2021 में 5.9% की दर से बढ़ी थी। 2022 में इसके 4.4% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो अक्टूबर में जारी 4.9% के अनुमान से आधा फीसद कम है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में इस कमी की बड़ी वजह दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन की वृद्धि दर घटना है। अमेरिका में वृद्धि दर घटने की मुख्य वजह महंगाई बढ़ने से ब्याज दर में वृद्धि होना बताया गया है, जबकि चीन में जो रियल एस्टेट क्षेत्र में संकट बन गया है, उसके चलते वृद्धि दर गच्चा खा सकती है। जहां तक भारत की बात है, तो उसकी अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा संबल वित्तीय क्षेत्र से मिलेगा। वित्तीय क्षेत्र में कर्ज उठान में सुधार देखने को मिल सकता है। ऐसा होने पर निवेश और उपभोग में भी बढ़ोतरी होगी। इससे नई मांग निकलेगी और अर्थव्यवस्था में रफ्तार आएगी। अलबत्ता, भारतीय अर्थव्यवस्था को आपूर्ति श्रृंखला में समस्या और ईधन की ऊंची कीमतों की समस्याओं से लंबे समय तक जूझते रहना पड़ सकता है।
बहरहाल, नई मांग निकलने से आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होना अर्थव्यवस्था के लिए शु संकेत माना जाता है। आईएमएफ ने 2023-24 के लिए वृद्धि दर संबंधी जो अनुमान जताए हैं, उनसे यकीनन भारत के लिए सकारात्मक धारणा बनेगी जो अर्थव्यवस्था की मजबूती का एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। अनुमानों के मुताबिक, इस अवधि में विश्व अर्थव्यवस्था 3.8% की दर से बढ़ेगी जबकि अमेरिका में यह 2.6% और चीन में इसके 5.2% रहने का अनुमान है। भारत के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.1% निकाला गया है, जो निश्चित ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सुखद रहेगा। खासकर महामारी के उत्तरकाल में।
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