बाजार ने लगाया गोता
चार दिन से शेयर बाजार रोजाना गिर रहा है। गिरावट भी थोड़ी बहुत नहीं अच्छी-खासी है।
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पांचवें दिन सोमवार को तो यह खबर आम होते ही कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक मार्च में ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने जा रहा है, इससे महंगाई बढ़ने की आशंका से वैश्विक बाजार थर्रा उठे, घरेलू बाजार भी अछूते नहीं रहे। निफ्टी 468 से ज्यादा लुढ़क गया तो सेंसेक्स 1545 अंक गिरकर धड़ाम हो गया। दो महीनों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट से निवेशकों के 19.50 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
देखा जाए तो बाजार पिछले पांच दिन में 3817 अंक तक लुढ़क चुका है। पिछली 17 जनवरी को बाजार पूंजीकरण 280 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था, जो सोमवार को 260.49 लाख करोड़ पर आ गया है। बाजार में गिरावट के और भी कारण हैं। इनमें आम बजट से पहले बिकवाली भी एक कारण है तो यूक्रेन पर रूस के हमले के खतरे की आशंका भी निवेशकों को सता रही है। वैश्विक स्तर पर बनी इस स्थिति का असर शेयर बाजार पर भी नजर आ रहा है। चीन, जापान, ब्रिटेन, हांगकांग के शेयर बाजारों में भी गिरावट देखी गई है।
शेयर बाजारों में गिरावट कोई नई बात नहीं है, आए दिन बाजारों से ऐसी खबरें आती हैं, लेकिन अब अंतर इतना आया है कि पहले इस गिरावट से बड़ी पूंजी वाले लोग ही प्रभावित होते थे आज बेहद छोटे निवेशक भी बाजार में पैसा लगा रहे हैं। इन्हें निवेशक कहना कतई दुरुस्त नहीं है, क्योंकि ये नौकरीपेशा और छोटी-मोटी कमाई करने वाले लोग होते हैं और रोज-ब-रोज बाजार चढ़ने की खबरों से भ्रमित होकर अच्छी खासी रकम बाजार में लगा देते हैं। इन सबके उलट देश की अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को इस तरह पेश किया जा रहा है कि आम लोगों को लगने लगता है कि कहीं वे प्रगति का इसका हिस्सा होने से रह न जाएं जबकि हालात इसके एकदम विपरीत हैं।
एक सर्वेक्षण में पता चला है कि उदारीकरण के बाद पहली बार भारत के सबसे गरीब परिवारों की आय 53 प्रतिशत गिरी है। 2015 से 2021 के बीच की अवधि में सबसे अमीर परिवारों की आय 39 प्रतिशत बढ़ी है। इस सर्वेक्षण के मुताबिक इन सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों की आय 1990 के दशक में हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद से लगातार बढ़ रही थी, लेकिन महामारी के दौरान 2020-21 में इनकी आय पहली बार गिरी। संभलकर निवेश करें।
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