फिर बढ़ी पाबंदी
निर्वाचन आयोग ने पांच चुनावी राज्यों में रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध 31 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिए हैं।
![]() फिर बढ़ी पाबंदी |
चुनाव मैदान में उतरे राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों को इस घोषणा में भले ही राहत जैसा कुछ न लगे लेकिन महामारी के संक्रमण को देखते हुए एहतियात बरतना जरूरी है। ओमीक्रोन वायरस का प्रकोप कम नहीं हुआ है, और इसके साथ ही चुनाव प्रक्रिया भी पूरी कराई जानी है, इसलिए जरूरी है कि सतर्कता के साथ इस दायित्व का निर्वहन किया जाए। लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। शनिवार को अपनी घोषणा में निर्वाचन आयोग ने अलबत्ता, मतदान के पहले के पहले दो चरणों वाले निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम पांच सौ लोगों के साथ सार्वजनिक सभा करने की अनुमति प्रदान कर दी। घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने के लिए नियमों में भी ढील दी है।
घर-घर प्रचार अभियान में पांच की बजाय अब 10 लोग शामिल हो सकेंगे। पहले चरण के मतदान के लिए प्रत्याशी 28 जनवरी से 500 लोगों की सीमा के साथ जनसभा कर सकते हैं, जबकि 14 फरवरी के दूसरे चरण के मतदान के लिए ऐसी जनसभाएं एक फरवरी से की जा सकेंगी। निर्वाचन आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनावों की तारीखों की घोषणा करते हुए 15 जनवरी तक रैलियों, रोड शो और बाइक रैलियों तथा इस तरह के अन्य प्रचार कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
आयोग ने 15 जनवरी को इन प्रतिबंधों को 22 जनवरी तक बढ़ा दिया था। हालांकि इस दौरान अधिकतम 300 लोगों या हॉल की क्षमता के 50 प्रतिशत तक इनडोर बैठकें करने की छूट दे रखी थी। हॉल की क्षमता का निर्धारण राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) करता है। दरअसल, चुनावी कार्यक्रम घोषित करने के बाद से ही निर्वाचन आयोग कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों पर बराबर नजर रखे हुए है।
वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों के आकलन और पांचों चुनावी राज्यों के मुख्य सचिवों, मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ विभिन्न वर्चुअल बैठकों के उपरांत निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि 31 जनवरी तक किसी भी रोड शो, पदयात्रा, साइकिल, बाइक या वाहन रैलियों और जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग 30 जनवरी को स्थितियों की समीक्षा करेगा और तद्नुसार आगे की रणनीति तय होगी। आखिर, एहतियात में ही बचाव है।
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