युद्ध की घंटी
दुनिया एक और युद्ध की तरफ बढ़ रही है। यूक्रेन के बहाने अमेरिका और रूस में खिंचे पालों में तनाव बढ़ता जा रहा है।
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यूक्रेन के पक्ष में नाटो की लामबंदी और अपने इरादों को लेकर रूस के रवैये से हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। कभी भी युद्ध छिड़ने की आशंका में यूक्रेन में मौजूद सभी अमेरिकी नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने की हिदायत दे दी गई है। रूस अधिकृत क्रीमिया और रूसी नियंत्रण वाले पूर्वी यूक्रेन में हालात काफी नाजुक हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को मदद जारी रखने का भरोसा दिया है। ब्रिटेन के इस दावे को कि रूस यूक्रेन में कठपुतली सरकार स्थापित करना चाहता है रूस ने गलत बताया है।
जर्मनी ने सभी पक्षों से संयम बरतने और तनाव घटाने की अपील की है। एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरा हुआ है। अमेरिका और ब्रिटेन समेत कुछ देशों ने यूक्रेन को हथियार दिए हैं। रूस चाहता है कि पूर्वी यूरोप से नाटो की तैनाती वापस ली जाए। अगर नाटो की तैनाती का मामला नहीं सुलझा, तो रूस क्यूबा में फिर से मिसाइलें तैनात करने पर विचार कर सकता है। 1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के बाद से पूर्वी यूरोप में लगातार नाटो का विस्तार हुआ है। रूस के करीबी देशों पोलैंड और रोमानिया में नाटो ने अत्याधुनिक सैन्य सेटअप लगा रखा है। रूस चाहता है कि नाटो, उसकी सीमा से दूर रहे। उसकी यह मांग भी है कि 1990 के बाद मध्य और पूर्वी यूरोप के जिन देशों में नाटो की तैनाती हुई है, उसे वापस लिया जाए।
अगर यूक्रेन में नाटो ने सैन्य स्टेशन बनाए, तो वहां से फायर की जाने वाली मिसाइल पांच मिनट में मॉस्को पहुंच जाएगी। पुतिन की चेतावनी है कि अगर ऐसा हुआ, तो वह भी पांच मिनट के भीतर अमेरिका तक पहुंचने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइल तैनात करेंगे। रूसी हथियार कार्यक्रम से अमेरिका भी नाखुश है। अमेरिका को लगता है कि रूस नाटो के खिलाफ हथियार विकसित कर रहा है। इस सारे मामले का भारत पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है।
हालांकि कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है। भारत अमेरिका और रूस दोनों को साधने की नीति पर चल रहा है। चीन के खिलाफ क्वाड के गठन में भारत और अमेरिका साथ हैं तो रूस ने एस 400 मिसाइल रोधी प्रणाली देकर भारत की सीमाओं को अभेद्य बनाने में मदद की है। किसी संघर्ष की स्थिति में भारत के लिए स्थिति दुविधापूर्ण होगी।
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