बैठक पर नजर
वैश्विक महामारी कोविड-19 के नये और संक्रामक स्वरूप ओमीक्रोन का दायरा बढ़ने के दरम्यान चुनाव होंगे या नहीं, यह सस्पेंस फिलहाल बना हुआ है।
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हालांकि चुनाव आयोग के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की सोमवार को हुई बैठक में तय किया गया कि उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव टाले नहीं जाएंगे। हालांकि चुनावी रैलियों और सभाओं पर सख्ती संभव है। ऐसे में सभी की निगाहें मंगलवार से शुरू हो रहे चुनाव आयोग तीन दिवसीय दौरे पर हैं। दरअसल, ओमीक्रोन के आहिस्ता-आहिस्ता कई राज्यों को अपनी जद में लेने के बाद यह सुगबुगाहट तेज हुई थी कि इन पांचों राज्यों में चुनाव कुछ वक्त के लिए आगे बढ़ाए जा सकते हैं।
खासकर उत्तर प्रदेश में जिस तरह से लाखों की भीड़ रैलियों और सभाओं में जुट रही थी, उससे यह डर स्वाभाविक रूप से बढ़ रहा था कि अगर यही हाल रहा तो तीसरी लहर को आने में ज्यादा विलंब नहीं है। वहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद यह आशंका जताई जाने लगी थी कि चुनाव टल सकते हैं। उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग से ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव टालने तक की अपील कर दी। वैसे अगर अनुशासित होकर उन दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए तो कोरोना को आसानी से शिकस्त दी जा सकती है।
मास्क लगाना, दो गज की दूरी और सैनिटाइजेशन को वरीयता देने से काफी हद तक बचाव होता है। लेकिन जनता और राजनीतिक दलों में ईमानदारी और अनुशासन का अभाव है। यही वजह है कि तीसरी लहर की आशंका जस-की-तस बनी हुई है। हालांकि चुनावी राज्यों में टीकाकरण और जांच में तेजी लाने की बात जरूर कही गई है। जब तक सभी नागरिकों को टीके की दोनों खुराक नहीं लग जाती है, तब तक संक्रमण के फैलने की आशंका बनी रहेगी।
चूंकि ओमीक्रोन स्वरूप डेल्टा स्वरूप के मुकाबले तीन गुना तेजी से बढ़ता है, लिहाजा इसे बढ़ने से रोकने का सबसे कारगर हथियार टीकाकरण ही है। साथ ही मास्क पहनने और साफ-सफाई रखने से बीमारी आसपास नहीं फटक सकेगी। कुल मिलाकर उप्र के दौरे पर गई चुनाव आयोग की टीम के निर्णय का इंतजार करना होगा। चुनाव वक्त पर हों और आमजन सुरक्षित भी रहे, इसके लिए हरेक शख्स को कायदे-कानून के साथ कदमताल करना होगा।
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