बढ़ती असहनशीलता
पांच राज्यों में चुनावी गतिविधियों में तेजी के साथ धार्मिक मामलों को लेकर देश में राजनीतिक असहनशीलता बढ़ रही है तो समाज में भी अन्य धर्मावलंबियों को लेकर सहनशीलता घट रही है।
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कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर बहस चल रही थी, तभी राज्य के एक गिरजाघर में तोड़फोड़ हुई। हरियाणा के गुड़गांव में प्रशासन ने बड़ी मशक्कत के बाद नमाज विवाद पर पानी डाला ही था कि अब पटौदी के एक निजी स्कूल में क्रिसमस कार्यक्रम को यह आरोप लगाकर बाधित किया गया कि बच्चों का ब्रेनवाश करके धर्मांतरण के लिए उन्हें तैयार किया जा रहा है। उत्तराखंड के चंपावत में सवर्ण स्कूली बच्चों ने अनुसूचित जाति की कुक का बनाया खाना खाने से इनकार किया तो दलित विद्यार्थियों ने भी सवर्ण कुक का बनाया खाने से इनकार कर दिया। कर्नाटक में क्रिसमस से ठीक पहले बेंगलुरू के निकट सरायपाल्या में 160 साल पुराने चर्च में तोड़फोड़ हुई है। सेंट एंथनी की मूर्ति को क्षति पहुंचाई गई। कुछ दिन पहले कोलार में ईसाइयों की धार्मिंक किताब जलाई गई थी। राज्य में दक्षिणपंथी संगठन चर्च पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगाते रहे हैं।
कर्नाटक विधानसभा में विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित किया जा चुका है। विपक्षी दल कांग्रेस ने विधेयक का विरोध किया। कर्नाटक में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 20 दिसम्बर को विधेयक को मंजूरी दी थी। बोम्मई के अनुसार विधेयक लालच देकर सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में परिवर्तन के प्रयासों को रोकने के लिए जरूरी था। धर्मांतरण विरोधी विधेयक में सजा की अवधि तीन साल से बढ़ाकर 10 साल और जुर्माने की रकम 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख और 5 लाख तक करने का प्रावधान है। विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, पल्रोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी परिवर्तन पर रोक का प्रावधान है। कोई व्यक्ति दूसरा धर्म अपनाना चाहता है तो उसे 30 दिन पहले घोषणा करनी होगी। धर्मांतरण विरोधी विधेयक के खिलाफ हाल में 40 सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने राज्य सरकार के खिलाफ बेंगलुरू में विरोध मार्च निकाला था। रुड़की में पिछले महीने एक चर्च को निशाना बनाया गया।
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