बेहतरी के लिए सुधार
लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी शोरशराबे के बीच सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी।
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इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और मतदाता सूची को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 में संशोधन किए जाने की बात कही गई है। लेकिन विपक्ष ने मांग की है कि विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए। उसका कहना था कि विधेयक पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
देश में डाटा सुरक्षा कानून नहीं होने से डाटा के दुरुपयोग के मामले बढ़ सकते हैं। विपक्ष ने इसे निजता का हनन करने वाला जल्दबाजी में पेश किया गया विधेयक करार दिया। आशंका जताई कि यह प्रावधान करके सरकार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी ‘गुप्त मतदान’ की प्रक्रिया से छेड़छाड़ कर सकती है। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजु ने विपक्ष की आशंका का जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जबकि यह विधेयक शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप है।
उन्होंने बताया कि कार्मिक, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति ने ही इसके लिए सिफारिश की थी कि मतदाता सूची की शुचिता को बनाए रखना जरूरी है। इसी क्रम में मतदाता सूचियों को आधार से जोड़ने का बात कही थी। रिजिजु के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी। सदन में सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को वोटर लिस्ट से जोड़ना स्वैच्छिक है।
दरअसल, विधेयक को देश में चुनाव सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना चाहिए। थी। जहां तक जल्दबाजी की बात है तो ध्यान रहे कि यह निर्णय लेने से पहले चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय ने कई दौर की बैठक की थीं।
इसलिए चुनाव आयोग की स्वायत्तता प्रभावित होने जैसे बात बेमानी है, बल्कि सच तो यह है कि यह विधेयक फर्जी मतदान की बुराई से निजात दिलाने के साथ पूरे देश के मतदाताओं की एक ही सूची तैयार करने में मददगार होगा। चुनावी कानून भी जेंडर न्यूट्रल होंगे। युवाओं को साल में चार बार नामांकन कराने का मौका मिल सकेगा। सो, इसकी सराहना की जानी चाहिए।
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