कांग्रेस पर निर्मम ममता

Last Updated 01 Nov 2021 04:13:22 AM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी कांग्रेस पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हैं।


कांग्रेस पर निर्मम ममता

शनिवार को जिस तरह से ममता कांग्रेस पर निर्मम हुई, वह यह बताने के लिए काफी है कि तृणमूल अध्यक्ष की राजनीति किस ओर जाने वाली है। कांग्रेस पर जुबानी हमला करते हुए ममता ने कहा कि कांग्रेस के निर्णय न ले पाने का अंजाम पूरा देश भुगत रहा है। वे राजनीति को गंभीरता से नहीं लेते।

कांग्रेस की वजह से नरेन्द्र मोदी और अधिक ताकतवर हो रहे हैं। मतलब साफ है कि ममता कांग्रेस के मुकाबले खुद को केंद्रीय स्तर पर भाजपा से लड़ाई के लिए तैयार कर रही हैं। अब ममता राष्ट्रीय स्तर पर अपने दल को विस्तार देने की नीति पर चलने का मन भी बना चुकी हैं।

चूंकि अभी भी कांग्रेस की ‘पैन इंडिया’ छवि है, लिहाजा वह फिलहाल कांग्रेस पर हमलावर हैं। दूसरी अहम बात क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों के बीच सहमति के स्तर पर एकजुटता की वकालत है। ममता को बखूबी भान है कि छोटे दलों को एक किए बिना भाजपा जैसी बड़ी और ताकतवर पार्टी को शिकस्त नहीं दी जा सकती। यही वजह है कि ममता कांग्रेस और भाजपा, दोनों के खिलाफ बराबर स्तर पर टकराने की रणनीति पर काम कर रही हैं।

क्षेत्रीय दलों के मजबूत होने की मंशा रखने के अलावा ममता चाहती हैं कि संघीय ढांचा मजबूत हो यानी ममता भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले उन क्षेत्रीय दलों को लेकर ज्यादा सहज दिखती हैं, जो अन्य राज्यों में सरकारों में हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के अलावा तमिलनाडु में द्रमुक सरकार, उत्तर प्रदेश में बड़ी सियासी ताकत के रूप में समाजवादी पार्टी और बसपा, बिहार में जनता दल (यू), झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, उत्तर पूर्व के कई राज्यों के छोटे दलों की सरकारों के अलावा  दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार हैं।

दरअसल, ममता अपने राज्य से निकल कर 2024 में होने वाले आम चुनाव का रिहर्सल कर रही हैं। फिलवक्त अपनी ताकत को तौल रही हैं। विपक्ष में ऐसे सर्वमान्य और बुलंद नेता की जरूरत है, जो मोदी के मुकाबले मजबूत दिखे। ममता बनर्जी इस खालीपन को भरना चाहती हैं। यही वजह है कि वह आहिस्ता-आहिस्ता बंगाल से निकल कर गोवा, त्रिपुरा आदि राज्यों में अपनी धमक और हनक बढ़ाना चाहती हैं।



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