बातचीत का रास्ता भी खुले
दिल्ली पुलिस ने टीकरी बॉर्डर को यातायात के लिए आंशिक रूप से खुलवा दिया है। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अवरोधक नहीं हटाने पर अड़े हैं, तो सिंघु बॉर्डर को खुलवाने में पुलिस ने अभी तक पहल नहीं की है।
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टीकरी बॉर्डर किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच लंबी बातचीत के बाद खोला जा सका। हालांकि किसानों ने कुछ शर्तों के साथ टीकरी बॉर्डर को खुलने दिया है। इस रास्ते पर आवाजाही सुबह सात से सायं 8 बजे के बीच हो सकेगी जबकि एंबुलेंस के लिए यह चौबीसों घंटे खुला रहेगा।
किसानों का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों और उद्यमियों की समस्या को देखते हुए रास्ता खोलने का फैसला किया गया। अलबत्ता, गाजीपुर में किसानों के रुख के चलते रास्ते को पूरी तरह नहीं खोला जा सका और वाहनों को अवरोधकों और किसानों के टेंटों के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है।
उधर, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ग्यारह महीनों से संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आंदोलनरत किसानों ने कहा है कि भले ही बैरिकेडिंग हटवाई जा रही हैं, लेकिन उनका आंदोलन पूर्ववत जारी रहेगा। स्थितियां बदली हैं, और इन पर गहन चर्चा के उपरांत किसान नेता अगली रणनीति तय करेंगे। इस सिलसिले में 6 नवम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर होने वाली बैठक महत्त्वपूर्ण होगी। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि अभी वे पूरा रास्ता नहीं खोलेंगे।
यह भी साफ कह दिया है कि किसान अपना आंदोलन और मजबूत करेंगे और समय आने पर जरूरी हुआ तो दिल्ली कूच भी करेंगे। उनका कहना है कि बैरिकेड्स हट रहे हैं, और ये तीनों कानून भी हटकर रहेंगे। किसानों द्वारा हाईवे अवरुद्ध किए जाने से काफी लोग आवाजाही में असुविधा की शिकायत कर रहे थे। कुछ लोगों ने तो सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने भी कहा था कि शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा सकता है, लेकिन रास्ता नहीं रोका जा सकता। हरियाणा से सटी दिल्ली की सीमा के पास के गांव वालों ने रास्ता रोके जाने का विरोध करना शुरू कर दिया था। पुलिस को काफी सतर्क रहना पड़ा कि कहीं अवरोध वाले और अवरोध के विरोध वाले आपस में ही न भिड़ पड़ें। अच्छी बात है कि बैरिकेडिंग हटाए जा रहे हैं, लेकिन यह भी जरूरी है कि किसानों और सरकार के बीच वार्ता का अवरोध भी टूटे। इसी से समस्या का सर्वसम्मत स्थायी समाधान निकल पाएगा।
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