यह जीत है बड़ी
अजिंक्य रहाणे की अगुआई में टीम इंडिया ने ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर परचम लहरा दिया।
यह जीत है बड़ी |
उन्होंने इस मैदान पर 300 से ज्यादा का लक्ष्य हासिल करने वाली पहली टीम बनने के साथ सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमा लिया। टीम इंडिया की इस सीरीज जीत के मायने खास हैं क्योंकि उसने सीरीज में हार के साथ शुरुआत ही नहीं की थी बल्कि पहले टेस्ट की दूसरी पारी में 36 रन पर लुढ़ककर पूरे देश को शर्मिदा कर दिया था। यही नहीं टीम के स्तंभ माने जाने वाले कप्तान विराट कोहली पितृत्व अवकाश पर लौट आए थे। इस मुश्किल हालात में एक के बाद एक खिलाड़ियों के चोटिल होकर बाहर होने से टीम की स्थिति लगातार खराब हो रही थी।
पर दिलचस्प यह है कि इस सीरीज में जिस युवा को मौका दिया गया, वह उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरा। इस तरह इस सीरीज ने शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, ऋषभ पंत, शादरुल ठाकुर और नटराजन के रूप में नये हीरो दिए हैं। यह इन हीरोज का ही कमाल है कि हम पहला टेस्ट एडिलेड में हारने के बाद मेलबर्न टेस्ट जीतकर वापसी करने में ही सफल नहीं हुए बल्कि गाबा पर ऑस्ट्रेलिया की 32 साल से चली आ रही बादशाहत को ध्वस्त करके लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया से उनके घर में हराकर सीरीज जीतने में सफल हो गए।
वैसे भारत ने लगातार तीसरी बार गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है। विराट की कप्तानी में भारत ने जब पहली बार 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया से उसके घर में सरीज जीती थी, तब यह कहा गया था कि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की अनुपस्थिति में वह कमजोर हो गई थी। पर इस बार ऑस्ट्रेलिया के दोनों दिग्गज मौजूद थे। ऋषभ पंत ने सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट की अपनी पारियों से साबित कर दिया कि वह असाधारण प्रतिभा वाले खिलाड़ी हैं।
सवाल यह है कि इस सीरीज में गेंदबाजी में अपना दम दिखाने वाले मोहम्मद सिराज, शादरुल ठाकुर, नटराजन और वाशिंगटन सुंदर को नियमित खिलाड़ियों के आने पर भी मौका दिया जाएगा या भुला दिया जाएगा। इस दौरे पर अजिंक्य रहाणे ने अपनी कप्तानी का लोहा मनवा दिया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि टीम के गैर अनुभवी पेस अटैक के शानदार प्रदर्शन के पीछे उनके इस्तेमाल की सही रणनीति का भी हाथ है। इस प्रदर्शन से इस बात से आश्वस्त हुआ जा सकता है कि हमारी दूसरी पंक्ति पूरी तरह से तैयार है।
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