ओटीटी पर नकेल जरूरी

Last Updated 20 Jan 2021 02:08:33 AM IST

वेब सीरीज ‘तांडव’ पर मचा घमासान लगता है जल्द थमने वाला नहीं है।


ओटीटी पर नकेल जरूरी

जिस तरह से मुंबई से लेकर दिल्ली फिर नोएडा और उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों में इस वेब सीरीज के निर्माता, निर्देशक, कंटेठ हेड और लेखक के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, उससे एक बात तो तय है कि इसके कलाकारों और अन्य कर्मचारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

इस वेब सीरीज पर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का गंभीर आरोप है। हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और अन्य डिजिटल मंचों पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आमजन की भावनाओं को भड़काने के बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। ‘मिर्जापुर’ वेब सीरीज में नाजायज पारिवारिक संबंध और गाली-गलौज को फिल्माया गया था। इस वेब सीरीज के निर्माता समेत चार लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू भी हो चुकी है।

मगर हर बार हल्के-फुल्के अंदाज में हंगामा और प्रदर्शन के बाद सबकुछ फिर से यथावत हो जाता है। वैसे सरकार पहले ही साफ कह चुकी है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले फिल्म या कंटेट को लेकर सेल्फ रगुलेशन कोड बनाएं। अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने लिए सेल्फ रेगुलेशन कोड नहीं बनाते हैं तो फिर सरकार कोड बनाने पर विचार कर सकती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ जिम्मेदारियां भी तय किए जाने कर बात है।  क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, किंतु तकलीफ की बात है कि बार-बार की नसीहत, सख्ती के बावजूद ओटीटी पर इस तरह की गलत और आपत्तिजनक चीजों को परोसा जाता है।

यह भी बहस का विषय है कि क्या थियेटर और ओटीटी के लिए अलग-अलग मानक होने चाहिए? शायद नहीं। हर कंटेट के लिए गाइडलाइन तय किया जाना इसलिए भी जरूरी है कि कोरोनाकाल के दौरान अधिकांश फिल्में ओटीटी पर रिलीज हो रही है। ऐसे में अगर कंपनियां रेगुलेशन न होने का फायदा उठाकर समाज में वैमनस्यता या तनाव फैलाएगी तो यह किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं होगा। ऐसे मामलों में खुद कंपनियों को अनुशासित होना होगा। अगर वो बार-बार एक ही तरह की गलती करेंगे तो सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अख्तियार करना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment