सुरक्षित है वैक्सीन
भारत में कोरोना वायरस महामारी के विरुद्ध जारी जंग अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।
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इस अदृश्य शत्रु को परास्त करने के लिए एक साथ 2-2 टीके मिल गए हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टीटय़ूट की ‘कोविशील्ड’ और भारत बॉयोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। कोवैक्सीन स्वदेशी वैक्सीन है। यह गर्व की बात है कि भारत वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में पहले से ही दुनिया का अग्रणी देश रहा है।
अब हमारे वैज्ञानिकों और अविष्कारकों ने कोविड-19 रोधी वैक्सीन विकसित करके बड़ी सफलता अर्जित की है। डीसीजीआई के निदेशक वी.जी. सोमानी ने इन दोनों वैक्सीन को 110 फीसद सुरक्षित बताया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम कभी भी ऐसी वैक्सीन को मंजूरी नहीं देंगे जिसमें थोड़ी सी भी चिंता की बात है। हालांकि देश के वैज्ञानिकों और फार्मा उद्योगों की बड़ी उपलब्धि के बावजूद कोरोना रोधी वैक्सीन पर सियासत शुरू हो गई है। एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता ने कहा है कि वैक्सीन लगाने से लोग नपुंसक हो जाएंगे।
डीसीजीआई के निदेशक ने इस आशंका को एक सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने स्वदेशी वैक्सीन को मंजूरी देने पर सवाल खड़े किए हैं। अगर सरकार वैक्सीन के इस्तेमाल करने का फैसला करती है तो उसे भी अपनी जिम्मेदारियों का पूरा बोध है। यह जरूर है कि वैक्सीन के बाद अपवाद स्वरूप कुछ चिकित्सा परेशानियां आ सकती हैं और इस तरह की आशंकाओं का निराकरण करना भी आवश्यक होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले अपने संबोधन में कहा भी था कि वैक्सीन को लेकर अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से बचने की जरूरत है।
इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि दशकों से प्रचलित और पूरी तरह सुरक्षित माने जाने वाली पोलियो वैक्सीन को लेकर भी कई बार भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कबीलाई इलाकों में टीकाकरण का काम अक्सर बाधित रहता है। सौभाग्य से भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। कोरोना वैक्सीन बहुत तेज गति से तैयार की गई वैक्सीन है तथा इसकी सुरक्षित स्थिति को लेकर विभिन्न स्तरों पर इसका परीक्षण हुआ है। इसके बावजूद वैक्सीन से जुड़े विभिन्न पहलू समय के साथ ही स्पष्ट होंगे। इन्हीं के आधार पर चिकित्सा वैज्ञानिक अपनी रणनीति में आवश्यक सुधार कर सकेंगे।
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