उम्मीदें हुई जवां
दिसम्बर 2020 में जीएसटी यानी माल और सेवाकर का संग्रह 1,15,174 करोड़ रु पये का रहा।
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यह अभी तक का अधिकतम संग्रह है जीएसटी का। अप्रैल 2020 में कुल जीएसटी संग्रह 32,172 करोड़ रु पये का रहा था, तब जाने कितनी ही आशंकाएं खड़ी हो गई थीं। आशंकाएं अब भी खत्म नहीं हुई हैं, पर आशंकाओं के छंटने के दौर चल रहा है। जीएसटी की सूरत बेहतर हुई है इसकी कई वजहें हैं। एक तो मोटी सी वजह यही है कि अर्थव्यवस्था में दोबारा जान आ रही है।
माल और सेवाओं की बिक्री खरीद में तेजी आ रही है, सो स्वाभाविक है कि कर संग्रह बेहतर होगा। दूसरी वजह यह भी है कि केंद्र सरकार ने जीएसटी की चोरी पर लगाम लगाने की कोशिशें भी खूब की हैं। राजस्व के संकट से जूझती सरकार को हक है कि वह जायज करों को वसूले और जो कर चुकाने में चोरी या धोखाधड़ी कर रहे हैं, उनसे जबरन वसूली भी हो। सरकार जाहिर है कि अपनी कोशिशों में कामयाब हो रही है। जीएसटी की सूरत सुधरती है तो तमाम स्तरों पर सुधार होता है। सरकार का समग्र राजस्व बेहतर होता है।
गौरतलब है कि 2020 में केंद्र सरकार और कई राज्यों की सरकारों के रिश्तों में तल्खी आई थी जीएसटी को लेकर। विपन्नता सौ झगड़ों की जननी होती है और संपन्नता से सौ मैत्रियां निकलती हैं। केंद्र सरकार के पास राजस्व की स्थिति मजबूत होगी, कई तबकों को कई तरह की राहतें दे पाना संभव होगा। जाहिर है तमाम तबकों को आगामी बजट से राहतों की अपेक्षा है। 2020 में आर्थिक तौर पर अपेक्षाकृत कमजोर वगरे के लिए जीवन मुश्किल हुआ है, केंद्र सरकार ने उनके लिए तमाम योजनाओं में धन की व्यवस्था की।
उच्च वर्ग के मुनाफे में कमी आई। पर मध्यमवर्ग का संकट एक तरह से अनसुना ही रहा। मध्यवर्ग को राहत की जरूरत है यह बात अब लगातार कई मंचों से कही जा रही है। सरकार राहत कहां से दे पाएगी, यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है। जीएसटी संग्रह में मजबूती आए, तो सरकार हर वर्ग को कुछ ना कुछ राहत दे सकती है। जीएसटी संग्रह में तेजी बनी रहे, इसकी उम्मीद की जानी चाहिए क्योंकि कई उद्योगों की तरफ से खबरें हैं कि वहां कोविड-19 से पहले की स्थितियां बन रही हैं। यानी मांग, बिक्री का स्तर सामान्य हो रहा है। पर जीएसटी को लेकर कई किस्म के सुधारों की जरूरत अपनी जगह बनी हुई है।
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