मौत की छत

Last Updated 05 Jan 2021 01:20:28 AM IST

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के मुरादनगर स्थित उखरालसी गांव में श्मशान घाट की छत भरभरा कर गिर पड़ने से 23 लोगों की मौत ने स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार की कलई खोल दी है।


मौत की छत

यह निर्माण नगर पालिका परिषद द्वारा कराया गया था। हादसे में पंद्रह लोग घायल हुए हैं। सभी रविवार को बंबा रोड संगम विहार निवासी फल विक्रेता जयराम (70) की अंत्येष्टि में शामिल होने पहुंचे थे। मृतक की आत्मा की शांति के लिए आंखें बंद करके शांति पाठ कर रहे थे कि एकाएक श्मशान घाट के गलियारे की छत भरभराकर गिर पड़ी। पांच महीने पहले ही श्मशान घाट के पचास लाख रुपये से हुए जीर्णोद्धार के तहत श्मशान घाट के मुख्य गेट से लेकर अंतिम क्रियाकर्म स्थल तक गलियारे की यह छत डाली गई थी।

छत को आठ पिलरों पर डाला गया। पंद्रह दिन पहले ही इसे लोगों के लिए खोला गया। अभी तो इसका लोकार्पण भी नहीं हुआ है। जिस तरह अपने निर्माण के कुछ ही महीनों में यह छत धराशायी हुई है, उससे साफ है कि इसके निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। हादसे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। मुख्यमंत्री योगी ने मृतकों परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है।

कहना न होगा कि यह हादसा हत्या सरीखा है, जहां भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदार ने मिलीभगत करके घटिया निर्माण कराया जो 23 लोगों की जिंदी लील गया। अनेक लोग ताउम्र के लिए अक्षम हो गए। मुरादनगर नगर पालिका के कुछ अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या, भ्रष्टाचार, लापरवाही समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है। जब-तब ऐसे हादसे होते हैं, जिनमें बेगुनाह लोगों को मात्र इसलिए जान से हाथ धोना पड़ता है कि भ्रष्ट तत्वों पर लगाम नहीं लग पा रही। ये तत्व स्थानीय राजनीतिक दलों के छुटभैय्या नेताओं और भ्रष्ट अफसरों का घालमेल भर हैं, जिनकी पीठ पर किन्हीं अदृश्य लोगों का हाथ होता है।

तभी तो ये लोग अपनी कारस्तानियां धड़ल्ले से चलाए रहते हैं। जब-तब हादसे होने पर शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि सख्त कार्रवाई का राग अलापने लग पड़ते हैं। समय बीतने के बाद ये तत्व फिर बेखौफ होकर अपने काम में लग जाते हैं। लोगों के लिए जरूरी है कि अपने आसपास होने वाले निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाली निर्माण सामग्री पर ध्यान रखें। कुछ गलत देखें तो तत्काल उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं। तभी ऐसे हादसों को टाला जा सकेगा।



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