राजनीति नहीं सहयोग

Last Updated 24 Nov 2020 01:07:03 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विश्वास है कि कोविड-19 दूसरे विश्व युद्ध के बाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।


राजनीति नहीं सहयोग

पूरा विश्व संगठित होकर ही इसका मुकाबला कर सकता है। अमेरिका में कोरोना विषाणु महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। यूरोप के अनेक देश महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहे हैं। इंग्लैंड में फिर से लॉकडाउन लागू किया गया है। भारत में भी पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कोरोना का संक्रमण बढ़ने लगा है।

भारत ही नहीं विश्व के अधिकांश देशों ने महामारी का मुकाबला करने के लिए मास्क पहनना, अपने हाथों को साबुन-पानी से बार-बार धोना और दो गज की दूरी बनाए रखना जैसी एक समान नीतियां बनाई हैं, लेकिन इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वीकार किया है कि दुनिया दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। अपनी सोच के अनुरूप उन्होंने अनेक देशों को कोरोनारोधी दवाइयां भेजने में जरा भी देर नहीं की।

भारत में महामारी के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की ओर से कुछ ठोस कदम उठाए गए हैं, जिनका राज्य सरकारों को बढ़-चढ़कर समर्थन ही नहीं बल्कि उन्हें अमल में लाना भी चाहिए। इस क्रम में उन राज्यों में जहां कोरोना विषाणु के नये मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, वहां केंद्र सरकार विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय टीम भेज रही है। यह टीम जांच, कांटैक्ट ट्रेसिंग और इलाज के तरीकों की समीक्षा करेगी। अगर कोई कमी पाई गई तो उसे ठीक भी करेगी, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों ने इस केंद्रीय दल के साथ सहयोग नहीं किया और उनके सदस्यों पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। इन विपक्षी राज्य सरकारों का मानना है कि केंद्र सरकार इस दल को भेजकर राजनीति कर रही है।

महामारी के इस विराट संकट में केंद्र और राज्य सरकारों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। ऐसा लगता है कि राज्य सरकारें इस केंद्रीय दल पर जो आरोप लगा रही हैं, वो केवल राजनीति से प्रेरित है। राजधानी दिल्ली कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर रही है। केजरीवाल सरकार फिर से लॉकडाउन लागू करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन कोरोनारोधी सावधानियों को कड़ाई से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। पिछला अनुभव बताता है कि कोरोना को हराने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को कंधे-से-कंधा मिलाकर ही आगे बढ़ना होगा।



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