कटौती का लक्ष्य

Last Updated 24 Nov 2020 01:05:12 AM IST

पर्यावरण को लेकर जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत की प्रतिबद्धता की बात को दोहराकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक तरह से जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की राय साफ कर दी है।


कटौती का लक्ष्य

खासकर कार्बन उत्सर्जन में 30 से 35 प्रतिशत कमी लाने के लक्ष्य के साथ बढ़ने की बात उन्होंने कही है; यह वाकई सराहनीय माना जाएगा। इसे विकसित देश खासकर अमेरिका को यह संदेश भी देना भी मानना चाहिए क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार नहीं बल्कि दो बार भारत की इस मामले में आलोचना की थी।

भारत के साथ ट्रंप ने चीन को भी कार्बन उत्सर्जन बढ़ाने का जिम्मेदार बताया था। इससे पहले पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी करने के लिए आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहा है। पिछले साल उन्होंने भरोसा जताया कि भारत वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी कर देगा।

वैसे यह उतना आसान नहीं है। खासकर भारत जैसे देश के लिए जहां विविधता है और गरीबी-अमीरी में काफी बड़ा अंतर है। इसलिए सबसे पहले प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को चार गुना बढ़ाने और अगले पांच साल में तेल शोधन क्षमता दोगुना करने का प्रयास करना होगा जिसकी बात प्रधानमंत्री मोदी भी कर रहे हैं। वहीं हमें अपनी आदतों और जीवन शैली में भी बदलाव करना होगा। यह तथ्य सभी के संज्ञान में है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान, सूखे और बेमौसम बारिश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

बाढ़ से कई देशों में संपत्तियों और जीवन को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इसलिए सबसे पहले हमें कार्बन उत्सर्जन में कमी करनी होगी, तभी जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बच पाएंगे। इसके लिए सभी देशों से पेरिस समझौते का पालन करना होगा। चूंकि कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए ठीक-ठाक फंड की जरूरत है, इसलिए विकसित देशों को आर्थिक रूप से विकासशील देशों की मदद के लिए आगे आना होगा साथ ही उन्होंने आर्थिक मदद के जो वादे कई साल पहले किए थे, उस पर गंभीरता से विचार करना होगा। तकनीक में लागत ज्यादा आती है, लिहाजा विकासशील देशों को इसके लिए क्षतिपूर्ति करनी चाहिए। अच्छी बात है कि भारत इस मोर्चे पर नई तकनीकों का विकास कर रहा है।



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