जनता बने जिम्मेदार
राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के मामलों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
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पिछले पांच दिनों से संक्रमण के मामले लगातार 5 हजार से ज्यादा आ रहे थे, लेकिन बीते सोमवार को इसकी रफ्तार कुछ धीमी हुई और यह आंकड़ा 4 हजार पर आकर ठहर गया, लेकिन महामारी विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में यहां संक्रमण के मामले और बढ़ सकते हैं। गत सप्ताह दिल्ली आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में विशेषज्ञ समिति की उस रिपोर्ट पर चर्चा हुई थी, जिसमें यह अनुमान लगाया गया है कि इस महीने के अंत तक रोजाना 12 से 14 हजार नये मामले आ सकते हैं। यह तथ्य है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इसके लिए केवल पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में किसानों द्वारा पराली जलाने के मामलों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए मोटर वाहनों की भारी संख्या भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। ठंड का मौसम और वायु प्रदूषण इन दोनों के कारण कोरोना महामारी में और अधिक उछाल आ सकता है।
त्योहारों के साथ दिल्ली और देश के बड़े हिस्सों में शादी-विवाह के मौसम की भी शुरुआत हो रही है। पर्व-त्योहार और शादी-विवाह इन दोनों समारोहों में सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने में शिथिलता और ढिलाई बरतने की आशंका बनी हुई है। अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए सरकार ने भी शादी-विवाह और अन्य पारिवारिक समारोहों में महामारी की रोकथाम के लिए बनाए गए नियम व कानून में थोड़ी बहुत ढिलाई दी है। अब ऐसे समारोहों में 50 की बजाय 200 लोग शामिल हो सकते हैं। भारत जैसे देश में लाखों लोग रोजाना नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हैं। आमतौर पर लोग कानून का पालन करने में अपनी हेठी समझते हैं। ऐसे में निजी और पारिवारिक समारोहों के दौरान नियम और कानूनों का पालन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। इसलिए भी महामारी में उछाल की आशंका जताई जा रही है। हालांकि दिल्ली सरकार महामारी के संक्रमण को और अधिक फैलने से रोकने के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है। टेस्ट की भी संख्या बढ़ा दी गई है, लेकिन यह भी तथ्य है कि सरकार अकेले सबकुछ नहीं कर सकती। महामारी को रोकने में सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भागीदारी सबसे आवश्यक है।
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