विभाजन नहीं समझदारी बढ़े

Last Updated 02 Nov 2020 03:22:18 AM IST

फ्रांस में पिछले दिनों मजहबी कट्टरता के आधार पर जिस तरह एक महिला का सिर कलम किया गया और चर्च के बाहर दो लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी गई, उसकी चाहे जितनी भी निंदा की जाए कम है।


विभाजन नहीं समझदारी बढ़े

मजहबी जुनून के आधार पर इस आतंकी वारदात को अंजाम देने वाला इब्राहिम इस्सोई टयूनिशिया का निवासी है और पिछले दिनों इटली के रास्ते फ्रांस आया था। फ्रांस में पिछले एक पखवाड़े के दौरान यह दूसरी आतंकी घटना है। इससे पहले पैगम्बर साहब का काटरून क्लास में दिखाने वाले अध्यापक की हत्या कर दी गई थी। जाहिर है इन दोनों घटनाओं के कारण पूरा देश आतंक और दहशत में है। मजहबी आधार पर की गई इन वारदात में फ्रांस सहित दुनिया के अनेक देशों में धार्मिक विभाजन की चुनौती पेश कर दी है। पेरिस और नीस शहरों में सिर कलम करने की जघन्य घटना के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने बयान दिया कि इ्स्लाम एक ऐसा धर्म है, जिससे आज पूरी दुनिया में संकट है। उनके इस बयान के बाद दुनिया के कई मुस्लिम देश फ्रांस के विरुद्ध लामबंद होकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

पाकिस्तान, बांग्लादेश, लेबनान आदि मुस्लिम देशों में फ्रांस के विरुद्ध हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। इस घटना के भारत भी अछूता नहीं रहा। मैक्रों के विरुद्ध मुंबई की सड़कों पर उनके चित्र चस्पा कर दिए गए ताकि लोग उन्हें अपने पैरों से रौंदे। भोपाल में भी एक विधायक ने सांप्रदायिक जहर फैलाया। ऐसे समय में जब इस नृशंस आतंकी हमले के विरुद्ध पूरी दुनिया को मैक्रों के समर्थन में सड़कों पर आना चाहिए था, उसी समय तुर्की, पाकिस्तान, ईरान और पश्चिमी एशिया के मुस्लिम देशों ने मैक्रों की तीखी आलोचना की। तुर्की के राष्ट्रपति आदरेगन ने मैक्रों को विक्षिप्त तक कह दिया। इमरान खान का भी लहजा कुछ ऐसा ही था।

मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने तो यहां तक कह दिया कि मुसलमानों को गुस्सा होने और फ्रांस के लोगों को मारने का अधिकार है। बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। ताज्जुब की बात है कि चीन ने अपने मुस्लिम बहुल शिंग्यांग सूबे में मजहबी विचारधारा को रोकने के लिए अमानवीय कदम उठाए हैं, लेकिन तुर्की और पाकिस्तान चीन की इस कार्रवाई का विरोध नहीं करते। दरअसल, आज पूरी दुनिया में विभाजन की बजाय विभिन्न समुदायों और धर्मो के बीच आपसी समझदारी बढ़ाने की जरूरत है।



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