चीन को सख्त संदेश
रविवार को भारत की दो शीर्ष शख्सियतों ने पड़ोसी देश चीन को सख्त संदेश दिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) की दशहरा के मौके पर होने वाली सालाना रैली में पहुंचे सर संघचालक मोहन भागवत ने भारत-चीन संबंधों को महत्त्वपूर्ण बातें कही।
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सीमा विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि चीन की विस्तारवादी फितरत को पूरी दुनिया जानती है। भारत को चीन के मुकाबले अपना दायरा बढ़ाना होगा। साथ ही भारत को चीन के खिलाफ बेहतर सैन्य तैयारियां करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब कई देश चीन के सामने खड़े हैं। भागवत का सीधे तौर पर चीन को जमीन हड़पने वाला देश कहना खासा महत्त्वपूर्ण है। जगजाहिर है कि पिछले पांच-छह महीने से भारत का चीन के साथ रिश्ता बेहद तनावपूर्ण रहा है। कई स्तर की सचिव स्तर की वार्ता और कमांडर स्तर की बैठकों के बावजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी कायम है।
यह भी गौर करने वाली बात है कि संघ प्रमुख ने पहली बार चीन के बारे में इतना सख्त लहजा इस्तेमाल किया। चीन के साथ जारी सीमा विवाद और पूर्वी लद्दाख में भारत की जमीन कब्जाने की खबरों और विपक्षी दलों के सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के बाद भागवत का चीन के खिलाफ खुलकर बोलना इसी ओर इशारा करता है कि चीन को उसकी हद में रखने में भारत कामयाब रहा है और मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित हाथों में है। कांग्रेस तो शुरू से ही चीन के साथ रिश्तों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधती रही है। कांग्रेस के लगातार हमलावर होने से निश्चित तौर पर केंद्र सरकार थोड़ी परेशान थी।
शायद विपक्ष के आक्रामक रुख को कमतर करने के लिए भागवत ने चीन को भारत के साथ खराब संबंधों को लेकर अपना वक्तव्य दिया। वहीं दशहरे के मौके पर पश्चिम बंगाल के सुकना में सेना के 33 कोर मुख्यालय में शस्त्र पूजा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीन को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि चीन को हम अपना एक इंच जमीन में हिस्सा नहीं लेने देंगे। रक्षा मंत्री ने यह कहकर भी चीन को घेरने की कोशिश की कि भारत तो चीन के साथ तनाव खत्म करना चाहता है, मगर उसके तरफ से बार-बार नापाक हरकत होती है। दरअसल, सुकना चीन के नजदीक है और वहां से चीन को सख्त नसीहत के पीछे यही रणनीति है कि भारत अपनी जमीन की रक्षा के लिए कुछ भी करेगा। वैसे, चीन भी इस बात को अच्छे से समझ चुका है कि भारत को झुकाना अब नामुमकिन है।
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