वार्ता पर नजर
नई दिल्ली में आगामी मंगलवार यानी 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच तीसरी 2प्लस2 वार्ता होने जा रही है।
वार्ता पर नजर |
यह वार्ता पूर्वी लद् दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच जारी सैन्य टकराव की छाया में हो रही है। जाहिर है इस वार्ता के एजेंडों और इसके परिणामों पर चीन की विशेष नजर होगी। अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठानों ने भी संकेत दिया है कि भारत और चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने वाली प्रत्येक हलचलों और सैन्य गतिविधियों का वह गंभीरता से अध्ययन कर रहा है।
विदेशी मामलों के जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि नई दिल्ली में होने जा रही 2प्लस2 वार्ता में संभवत: चीन की सैनिक आक्रामकता और विस्तारवादी नीतियों पर विचार विमर्श हो सकता है। अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया के अनुसार बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरशन एग्रीमेंट पर दोनों देश हस्ताक्षर कर सकते हैं। 2016 में भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक एक्सजेंच मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट और 2018 में कम्युनिकेशंस कम्पीटिबिलिटी एंड सिक्युरिटी एग्रीमेंट हुआ है।
अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान का मानना है कि इन समझौतों के जरिये भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों का सशक्तिकरण होगा और इस क्षेत्र में चीन की सैनिक वर्चस्व को निष्प्रभावी करने में मददगार साबित होगा। दरअसल, अमेरिका मानता है कि 2प्लस2 वार्ता भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत आधार देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का यह भी मानना है कि चीन की चुनौतियों का जवाब देने के लिए भारत को अमेरिका जैसे विश्वस्त मित्र की आवश्यकता है। उन्होंने यह संकेत दिया है कि नई दिल्ली में आयोजित 2प्लस2 की बैठक में दोनों देश क्वाड की उपयोगिता पर आपसी समझदारी बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
अमेरिका का मानना है कि अगर दोनों देश इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो दोनों देश सुरक्षित रहेंगे, लेकिन दूसरी ओर चीन भारत को आगाह करता रहा है कि वह अमेरिका की प्रशांत नीति और क्वाड से अपने आप को अलग रखे। चीन इस पूरे घटनाक्रम को अपने विरुद्ध लामबंदी के रूप में देखता है, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह क्वाड को सैनिक गठबंधन की शक्ल देने के प्रति उत्साहित नहीं है। असल में भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्ष आंदोलन की छाया से मुक्त नहीं हो पाई है। अगर भारत किसी भी सैनिक गुट में शामिल होता है तो यह उसके लिए आत्मघाती कदम होगा।
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