खराब होते हालात
जिस बात का डर था, वही होना शुरू हो गया है। बुधवार की सुबह दिल्ली-एनसीआर वालों को स्मॉग से सामना हुआ।
खराब होते हालात |
धीमी हवा, पराली का धुआं और धूल ने दिल्ली की हवा को खराब कर दिया है और करीब दर्जन भर इलाकों में हवा बहुत खराब हो गई है यानी जिस बात की आशंका बार-बार जताई जा रही थी, बिल्कुल वैसा ही हो रहा है। सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गई। वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी पराली जलाने के मामले तीन साल में सबसे ज्यादा हैं।
तमाम उपायों, सख्ती, जागरूकता के कार्यक्रम और पराली न जलाने के बहुविकल्पों के बावजूद इस तरह की घटनाएं कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। नतीजतन, धुंध और प्रदूषण का स्तर लगातार सबसे खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि ऐसी गंभीर स्थिति 10 से 25 दिन पहले ही आ गई। इस मौसम में पहली बार हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हुई है। हवा की गति कम होने और तापमान कम होने के चलते प्रदूषक तत्वों के हवा में जमा होने के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार सुबह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई।
दिल्ली और आसपास के कई शहरों मसलन, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद आदि में प्रदूषण ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। लॉकडाउन के दरमियान शुद्ध हवा-पानी के दिन लगता है खत्म हो चुके हैं। अब तो जिस तरह से पराली जलाने की घटनाएं और मौसमी परिवर्तन होने शुरू हुए हैं; उनसे तो साफ है कि आम जन को कई सारी दुारियों का सामना करना पड़ सकता है। हवा की गुणवत्ता में गिरावट के चलते हवा में प्रदूषक जमा होने लगे हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण-विरोधी अभियान ‘युद्ध प्रदूषण के विरु द्ध’ शुरू किया है।
साथ ही, दिल्ली सरकार धान के खेतों में ‘पूसा बायो-डकिंपोजर’ घोल का छिड़काव भी शुरू करने जा रही है। प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना भी लगाया गया है। इसके बावजूद हालात बदतर होते जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पांच राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों और उस विभाग के सचिवों के साथ बैठक भी की और रोडमैप के लिए सुझाव भी मांगे। देखना है, बाकी राज्य इन हालात से निपटने के लिए क्या जरूरी कदम उठाते हैं? अगर वक्त रहते इस बारे में नहीं सोचा गया तो कोरोना के साथ यह भी कहर बरपाएगा।
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