सक्रिय है बब्बर खालसा
राजधानी दिल्ली में बब्बर खालसा इंटरनेशनल मॉडयूल के दो आतंकियों की गिरफ्तारी बड़ी सफलता मानी जाएगी।
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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में मुठभेड़ के बाद दोनों आतंकवादियों को धर दबोचा। दोनों आतंकी खालिस्तान आंदोलन के कट्टर समर्थक हैं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित खालिस्तानी नेताओं के इशारों पर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में खून-खराबा करने की साजिश में लगे थे।
खालिस्तान आंदोलन वैसे तो मृतप्राय है, मगर अभी भी इसे जिंदा रखने की कोशिश में कुछ लोग लगे हैं। भोले-भाले लोगों का भावनात्मक शोषण कर उन्हें खालिस्तान आंदोलन में शामिल कराने का खेल बदस्तूर जारी है। इस साजिश में पाकिस्तान की प्रमुख भूमिका तो है ही, किंतु ज्यादा खतरनाक बात है दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में इन आतंकवादियों की घुसपैठ।
यानी दिल्ली में जरूर इनके समर्थक या इनके हितों के पैरोकार हैं, जो इन्हें न केवल शरण देते हैं बल्कि इन देश के दुश्मनों को आर्थिक और सामाजिक संबल भी प्रदान करते हैं। दरअसल, अब खेल सोशल मीडिया के जरिये भी लड़ा जा रहा है। देखने में आया है कि कई आतंकी फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं और यहीं से वे मासूम लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। वहीं विदेशों में छिपकर बैठे खालिस्तानी समर्थक इन आतंकवादियों को धन मुहैया कराते हैं। इंगलैंड और अमेरिका में खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों की तादाद काफी ज्यादा है और यहीं से ये लोग आतंकियों की फंडिंग करते हैं।
लिहाजा सरकार को इनके इस नेक्सस को तोड़ना होगा। पहले तो देश के अंदर के उन समर्थक गुटों का पर्दाफाश करना होगा और उसके बाद विदेशों में बैठे उन आकाओं पर भी शिंकजा कसना होगा। सरकार को उन देशों से कूटनीतिक स्तर पर वार्ता कर इस निष्क्रिय आंदोलन को जिंदा करने वाले गुटों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाना चाहिए। इसे हल्के में नहीं लेना होगा। देश ने खालिस्तान आंदोलन के खूनी दौर को देखा और भोगा है। ठीक है कि अब इस आंदोलन में जान नहीं बची है, फिर भी इसे सक्रिय रखने की साजिश को समझने में ही भलाई है। खुफिया एजेंसियों को ज्यादा पुख्ता कर देश के गद्दारों के बारे में जानकारियां जुटाने से ही इन्हें रोका जा सकता है। कुल मिलाकर सरकार को ज्यादा सतर्क रहना होगा।
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