टल गया संकट

Last Updated 12 Aug 2020 12:05:49 AM IST

राजस्थान में करीब 31 दिनों से चले आ रहे सियासी संकट का लगता है पटाक्षेप हो गया है।


टल गया संकट

सचिन पायलट की दिल्ली में राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से दो-दो बार मुलाकात के बाद न केवल राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर छाया राजनीतिक संकट टलता दिख रहा है वरन पार्टी में भी बड़ी टूट होने की आशंका गलत साबित होने जा रही है। अब सबकुछ सामान्य कार्यवाही के तौर पर होने जा रहा है।

खबर है कि अब सभी विधायक जयपुर जाकर विधानसभा में गहलोत सरकार का समर्थन करेंगे। जो सहमति बनी है उसके मुताबिक विवाद के मुद्दों को सुलझाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। यानी सचिन पायलट गुट की सभी तरह की शिकायतों को दूर करने के लिए एक रोडमैप बनाया जाएगा। वैसे तो पार्टी में दो गुट बनना अपने आप में हास्यास्पद बात होती है, मगर राजस्थान की वर्तमान घटना इस नाते ज्यादा चर्चा में रही कि कांग्रेस आलाकमान पूरे परिदृश्य से शुरुआती संकट के समय गायब दिखी। यह नहीं होना चाहिए था।

अगर सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कर्मठता और जुझारूपन से पार्टी को सत्ता में लेकर आए तो पार्टी नेतृत्व को भी उनकी मेहनत को उचित सम्मान देना चाहिए था। दरअसल, राजनीति में हर किसी की दिली इच्छा होती है कि वह सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। और इसमें बुराई भी नहीं है। हां, पायलट ने सिर्फ संगठन या पार्टी की बेहतरी के लिए ही इतना कुछ रचा, यह भी पूरी तरह सच नहीं हो सकता है। कांग्रेस को हर हाल में इस तथ्य को आत्मसात करने की जरूरत है कि इस वक्त भाजपा कांग्रेस के हर दांव को पलटने की भूमिका में है।

चूंकि राजस्थान में किसी तीसरे दल की गुंजाइश थोड़ी-बहुत ही है, लिहाजा सचिन के पास भी बहुत सारे विकल्प नहीं थे। हां, दूसरी तरफ अशोक गहलोत सरकार पर भी खतरे में थी; चुनांचे विरोधियों को एकजुट होना ही था। सुलह का रास्ता ही सर्वश्रेष्ठ होता है। अब बिना एक भी क्षण गंवाए कांग्रेस की शीर्ष पंक्ति को अन्य राज्यों में भी अपने कील-कांटे दुरुस्त करने की जरूरत है। कई युवा नेता पार्टी छोड़ चुके हैं तो कइयों के बारे में ऐसी खबरें आती रहती हैं कि वो पार्टी को जल्द अलविदा कहने वाले हैं। इस नाते आलाकमान को ज्यादा सक्रिय, सख्त और सहमति के साथ संगठन को मजबूती देने की रणनीति बनानी होगी। पायलट प्रकरण निश्चित तौर पर पार्टी के लिए बड़ी सीख से कम नहीं है।



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