कोरोना की वैक्सीन तैयार!
रूस ने दावा किया है कि उसने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बना ली है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि सितम्बर महीने से रूस टीके का मास प्रोडक्शन शुरू कर देगा।
कोरोना की वैक्सीन तैयार! |
वैक्सीन को स्पूतनिक पांच नाम दिया गया है। इसलिए कि यह सोवियत संघ के वक्त 1957 में दुनिया का पहला उपग्रह स्पूतनिक-एक लॉन्च करने जैसा चौंकाने वाला कदम है। गौरतलब है कि दुनिया के अनेक देश, जिनमें भारत भी शामिल है, कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं।
कुल मिलाकर दुनियाभर में 46 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के स्तर पर हैं। छह वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में है। इनके नतीजे मिलने में कम से कम दो महीने तो लगेंगे ही। तो क्या रूस ने बाजी मार ली। यह कहना जल्दबाजी होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत पश्चिमी देशों ने रूस की जल्दबाजी पर चिंता जताई है। चूंकि रूस ने बीस देशों, जिनमें लैटिन अमेरिकी, पश्चिम और दक्षिण एशियाई देश शामिल हैं, से एक अरब खुराक का ऑर्डर मिलने का दावा करते हुए जल्द ही दुनियाभर में वैक्सीन सप्लाई करने की बात कही है, इसलिए डब्ल्यूएचओ समेत तमाम देशों की चिंता और भी बढ़ गई है। उनका मानना है कि पर्याप्त डेटा के बिना वैक्सीन सप्लाई करना ठीक नहीं होगा।
ब्रिटेन ने तो कह भी दिया है कि वह यह वैक्सीन अपने नागरिकों को नहीं देगा। वैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुमति बिना इसे कहीं भी बेचा जाना संभव नहीं होगा। हालांकि रूस का दावा है कि वैक्सीन कारगर, सुरक्षित और शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में प्रभावी है। दावा तो यहां तक है कि प्रतिरोधक क्षमता स्थायी किस्म की होगी। दुष्प्रभाव न होने का भी दावा है। कहा गया है कि मात्र दो खुराक से दो वर्ष तक संक्रमण से बचा जा सकेगा।
रूस चार साझेदार देशों के साथ मिलकर सालाना पचास करोड़ खुराक का उत्पादन करेगा। लेकिन तमाम देश रूस में इस दवा के असर पर नजर बनाए रखना चाहेंगे। अलबत्ता, रूस के दावे को खारिज करना ठीक नहीं होगा। पहले से माना जा रहा था कि स्पार्स और मार्स जैसी बीमारियों के लिए की जा चुकी रिसर्च कोरोना की वैक्सीन खोज में मददगार होगी। चीन जनवरी में ही कोरोना की जेनेटिक सिक्वेंस साझा कर चुका था। कई चरणों में ट्रायल से भी मदद मिलनी तय थी। रूस का दावा है, जो समय के साथ ही साबित हो सकेगा। इसलिए अभी कुछ कहना अभीष्ट न होगा।
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