आत्मनिर्भरता की ओर
केंद्र सरकार द्वारा सैन्य बलों में काम आने वाले 101 रक्षा उपकरणों, हथियारों, वाहनों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय वाकई काबिलेतारीफ है।
आत्मनिर्भरता की ओर |
यह रोक चरणबद्ध तरीके से दिसम्बर 2020 से दिसम्बर 2025 के बीच अमल में लाई जाएगी। यानी 2025 तक आहिस्ता-आहिस्ता सभी तरह के हथियार और उपकरण समेत कई अन्य सामग्री देश में ही बनाए जाएंगे। सरकार के इस फैसले को घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम के तौर पर देखा जा सकता है।
इस कदम से घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही करीब चार लाख करोड़ के ठेके भी मिलेंगे। नीतिगत निर्णय के तौर पर देखें तो यह प्रशंसा के लायक है, मगर कई मामलों में हम अभी काफी पीछे हैं। चूंकि पड़ोसी देशों खासकर चीन और पाकिस्तान जिस तरह से हमारे लिए हमेशा साजिश रचते हैं; उसको देखते हुए हमें हथियारों की जरूरत और महत्ता को लेकर कोई भी फैसला सोच-समझकर लेना होगा। घरेलू रक्षा उद्योग को जरूर सरकार के इस फैसले से ऊर्जा मिली होगी, मगर उनके लिए इसे जमीन पर उतारना निश्चित तौर पर चुनौती होगी। हम सब जानते हैं कि सैन्य उत्पादों के बड़े आपूर्तिकर्ता कुल जमा चार देश हैं।
इनमें रूस (59 फीसद), अमेरिका (19), इजरायल (11) और फ्रांस (07) हैं। शीर्ष वैश्विक रक्षा कंपनियों के लिए भारत सबसे आकषर्क बाजारों में से एक है। यह भी ज्ञातव्य है कि हथियार खरीदार देशों में भारत का स्थान अभी तीसरा है। इस लिहाज से भारत जब घर में ही सैन्य उपकरणों का उत्पादन बड़े पैमाने पर करेगा तो एक बड़ी रकम की बचत होगी। पिछले पांच सालों में भारत ने 16 अरब डॉलर से अधिक का आयात किया है।
वर्ष 2007 से अब तक भारत ने सिर्फ अमेरिका से 1.24 लाख करोड़ रुपये के हथियार खरीदे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को साकार करने की दिशा में यह पहल मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल, देश में मिसाइल से लेकर रडार बनाने के फैसले से हम अपनी क्षमताओं को भी परख सकेंगे। सरकारी क्षेत्र की शीर्ष पांच रक्षा कंपनियां-हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड, बीईएमएल लिमिटेड और मिश्र धातु निगम लिमिटेड के अलावा डीआरडीओ की काबिलियत पर किसी को रत्ती भर भी संदेह नहीं है। कुल मिलाकर अगले कुछ वर्षो में भारत रक्षा उत्पादन में बड़ी छलांग लगाएगा।
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