दहशत और चिंता
जैसे ही मीडिया और सोशल मीडिया पर गृहमंत्री अमित शाह कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के कोरोना से संक्रमित होने की खबर फैली; समूचे देश में दहशत और चिंता की लहर दौड़ गई।
दहशत और चिंता |
अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के बाद सबसे कद्दावर नेता हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जिसने भी उनके और अन्य भाजपा नेताओं के कोरोनाग्रस्त होने का समाचार सुना वह उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करने लगा। इस बीच कोरोना से संक्रमण के कारण उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री कमल रानी वरुण का निधन हो गया, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि ये सभी लोग सरकार के बहुत ही जिम्मेदार ओहदे पर हैं। सार्वजनिक जीवन में रहने के कारण राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन के प्रति जागरूक भी रहते हैं। अपने-अपने क्षेत्राधिकारों के तहत इनके निर्देशों पर ही कोरोना के विरुद्ध जंग लड़ी जा रही है।
जाहिर है अमित शाह या येदियुरप्पा जैसे जिम्मेदार और जागरूक लोग जानबूझकर न तो कोई लापरवाही बरती होगी और न ही इनकी ओर से किसी तरह की असावधानी हुई होगी। बावजूद इसके ये लोग कोरोना जैसे अदृश्य शत्रु की चपेट में आ गए तो इसका सीधा अर्थ है कि आम लोगों में सावधानी और जागरूकता के स्तर को और अधिक बढ़ाना होगा। किसी भी स्तर पर किसी तरह की असावधानी नहीं होनी चाहिए। जरा सी असावधानी समाज के किसी भी व्यक्ति या परिवार के लिए घातक हो सकती है। इधर जब से लॉकडाउन खुला है और लोगों से कोरोना के साथ जीवन जीने के लिए कहा गया है तब से कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
पिछले कुछ दिनों से हर रोज करीब 50 हजार से ज्यादा नये मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि स्वस्थ होने वालों की दर बढ़कर 65.44 फीसद तथा मृत्युदर 2.13 फीसद हो गई है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि स्थिति को सामान्य होने जैसा मान लिया जाए। वास्तव में लोगों के सार्वजनिक व्यवहार में ढिलाई आई है। बहुत से लोग बगैर मास्क पहने ही सड़कों और बाजारों में दिखाई देने लगे हैं। बिहार, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना तेजी से फैल रहा है। बिहार में सरकार और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमाएं खुलकर सामने आ गई हैं। इसलिए हर व्यक्ति को हर स्तर पर सावधानी बरतनी होगी। कोरोना से बचाव का आज यही एकमात्र उपाय है।
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