चीनी प्रायोजक पर सवाल
दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला क्रिकेट लीग (आईपीएल) के आयोजन को लेकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने आखिरकार फैसला ले लिया।
चीनी प्रायोजक पर सवाल |
इस लीग का आयोजन 19 सितम्बर से 10 नवम्बर तक संयुक्त अरब अमीरात में किया जाएगा। लेकिन सबकी आपत्ति इस बात को लेकर है कि बीसीसीआई ने चीनी सैनिकों के हिंसक बर्ताव के बावजूद चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को आईपीएल 2020 की स्पांसरशिप क्यों बरकरार रखी। इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोग बीसीसीआई के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे।
यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संगठन स्वदेशी जागरण मंच और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है। मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा कि बीसीसीआई का फैसला चकित करने वाला है। सब जानते हैं कि देशभर में जून में पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना द्वारा 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद किस कदर गुस्सा था? अभी भी जिस तरह से चीन लद्दाख के इलाके में डटा हुआ है, उससे भारत के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।
इसके बावजूद बीसीसीआई ने जिस तरह से देशहित की परवाह न करते हुए चीनी कंपनी को बरकरार रखा है, वह वाकई शर्मनाक है। यह कहने की जरूरत नहीं कि देश से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है। महज कुछ करोड़ रुपयों के लिए अगर देश के स्वाभिमान से इस कदर समझौता किया जाने लगेगा तो जाहिर है न केवल उन सैनिकों के परिवारवालों को दिली तौर पर तकलीफ होगी, वरन सेना के मनोबल पर भी विपरीत असर पड़ेगा। ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। सरकार को तत्काल इस मामले में दखल देना चाहिए। कायदे से तो इस साल आईपीएल को रद्द कर देना चाहिए था। कोरोना की वजह से वैसे ही दुनियाभर में भयावह हालात हैं।
ऐसे वक्त में बीसीसीआई को समझदारी दिखानी चाहिए थी और हर हाल में ऐसे आयोजन से बचना चाहिए था, किंतु उसने इसके उलट व्यवहार किया। भले इस प्रतियोगिता का आयोजन देश से दूर हो मगर इसमें शरीक तो भारत के खिलाड़ी भी होंगे। ऐसे में अगर किसी खिलाड़ी या अन्य सपोर्ट स्टाफ के साथ कोई अनहोनी होगी तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इस नाते बीसीसीआई को जल्द निर्णय लेना होगा। जनता की भावनाओं का सम्मान ही असली देशभक्ति है।
Tweet |