डीजल का भार
भारत में इस स्थिति की कल्पना कभी नहीं की गई थी कि एक दिन डीजल के दाम पेट्रोल से ज्यादा हो जाएंगे।
डीजल का भार |
राजधानी दिल्ली में लगातार 19 बार की बढ़ोतरी के बाद डीजल का भाव पेट्रोल को फांद गया है। हालांकि सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की मूल्य के संबंध में अधिसूचना के अनुसार 17 दिन लगातार वृद्धि के बाद 24 जून को पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाए गए जबकि डीजल कीमतों में देशभर में 48 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। मूल्यवर्धित कर (वैट) की वजह से विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दाम अलग-अलग होते हैं। लंबे समय से डीजल के कृषि आदि में उपयोग को ध्यान रखते हुए उसके मूल्य कम रखे जाते थे और पेट्रोल के दाम से वह काफी नीचे होता था।
किंतु पिछले कुछ समय से इस नीति में परिवर्तन आया है और हर राज्य में यह अंतर कम होता गया है। दिल्ली सरकार ने पांच मई को डीजल पर वैट की दर 16.75 प्रतिशत बढ़ाई थी। इससे दिल्ली में डीजल पर वैट 30 प्रतिशत हो गया है। दिल्ली सरकार ने पेट्रोल पर भी वैट की दर को 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया था। चूंकि यह शुल्क मूल्यानुसार लगता है, इसलिए प्रत्येक बार पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा कीमतों में वृद्धि से इसका वास्तविक प्रभाव बढ़ता जाता है।
सात जून से पेट्रोलयम विपणन कंपनियों ने 24 जून तक लगातार 18 दिन डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की है तो यह स्थिति पैदा हो गई है। अगर गणना करें तो 18 दिनों में डीजल कीमतों में 10.49 रु पये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल इस बीच 8.5 रु पये प्रति लीटर महंगा हुआ है। हो सकता है किसी दिन फिर इसमें कमी आ जाए। मूल विषय पेट्रोलियम पदाथरे का मूल्य बढ़ना है, जिसका असर सम्पूर्ण आर्थिक गतिविधियों पर पड़ता है।
ध्यान रखने की बात यह भी है कि 82 दिनों तक कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। समस्या यह है कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण आर्थिक गतिविधियों के रु कने से केंद्र और राज्यों के राजस्व में कमी आई है, जिससे उनके लिए खर्च चलाना कठिन से कठिन होता जा रहा है। इसमें सबसे आसान रास्ता पेट्रो पदाथरे पर वैट वृद्धि करना है। दिल्ली की माली हालत इतनी खराब हो गई है कि कर्मचारियों का वेतन देना तक संभव नहीं हो पा रहा। ऐसी स्थिति में उसके लिए पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करना आसान नहीं है। किंतु उसे विचार करना होगा आखिर, उपभोक्ताओं पर कितना भार डाला जा सकता है।
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