बचाव ही एकमात्र उपाय
देश और दुनिया में कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित मरीजों की संख्या हर दिन तेजी से बढ़ती जा रही है जो सर्वाधिक चिंता की बात है।
बचाव ही एकमात्र उपाय |
पूरी दुनिया में इस महामारी से संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुंच गया है। अमेरिका में तो एक ही दिन में रिकॉर्ड 40 हजार नये मामले सामने आए जिसके कारण दो राज्यों को महामारी पर नियंत्रण करने के लिए फिर से कड़े प्रतिबंध लगाने पड़े। दुनिया में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या भी करीब 5 लाख हो गया है। भारत की बात करें तो पिछले 24 घंटों में 18,552 नये मामले सामने आए। कुल संक्रमितों की संख्या 5,08,953 हो गई है।
संतोष की बात यह है कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर करीब 58 फीसद हो गई है। सरकार के प्रतिनिधियों का कहना है कि भारत में इस महामारी से मृत्यु दर सिर्फ 3 फीसद है, जो दुनिया में सबसे कम है। सरकार का यह तर्क लोगों के मन में भरोसा तो जगाता है, लेकिन नैतिक दृष्टि से इस तरह से तुलनात्मक अध्ययन को सही नहीं ठहराया जा सकता। एक भी व्यक्ति की मौत देश, समाज और परिवार के लिए दुखद है। पिछले शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन की अध्यक्षता में कोरोना महामारी को लेकर आयोजित उच्चस्तरीय मंत्री समूह की सत्रहवीं बैठक हुई।
बैठक के बाद बताया गया कि सरकार इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। देश में करीब 13 लाख बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और कहती है। दिल्ली के अस्पतालों की दुर्दशा से संबंधित खबरें हर रोज अखबारों और चैनलों की सुर्खियों में रहती है। हकीकत ये है कि एक ओर इस महामारी को लेकर रहस्य बना हुआ है और दूसरी ओर राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। जबसे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई है, पुलिस और प्रशासन की ओर से ढिलाई भी बरती जा रही है।
आमतौर पर लोग बिना मास्क पहने घरों से बाहर निकल रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी अधूरे मन से किया जा रहा है। यह स्थिति बनी रही तो कोरोना का प्रकोप बढ़ेगा। यह बार-बार कहा जा रहा है कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ही इस महामारी से बचाव का एकमात्र उपाय है। इसलिए सरकार और पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे सख्ती के साथ इन नियमों का पालन कराए।
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