सतर्क रहना होगा

Last Updated 11 Jun 2020 12:22:57 AM IST

करीब एक महीने से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सटी सीमा पर व्याप्त तनाव खत्म होता दिखाई दे रहा है। चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी से करीब ढाई किलोमीटर पीछे हट गई है।


सतर्क रहना होगा

लिहाजा चीनी सेना की घुसपैठ के कारण क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बना गतिरोध कम हो सका है। भारतीय सेना भी कुछ पीछे हटी है। सीमा पर शांति बहाली के लिए भारत ने सैनिक और कूटनीतिक स्तर पर जो प्रयास किए, उसके सकारात्मक परिणाम आए हैं।

लेकिन कोई यह दावे के साथ नहीं कह सकता कि भारत और चीन के बीच आगे अब कोई विवाद या तनाव नहीं होगा। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चीन एक मात्र ऐसा देश है, जो अपने पड़ोसियों की सीमाओं का अतिक्रमण करता रहता है। यह अतिक्रमण उसकी साम्राज्यवादी-विस्तारवादी नीति का अहम हिस्सा है।

हालांकि विश्व के सभी स्वतंत्र और संप्रभु देशों को अपने राष्ट्रहितों के अनुरूप विदेश नीति के संचालन करने का अधिकार है, लेकिन आधुनिक वर्तमान विश्व में राष्ट्रहित का यह अर्थ नहीं है कि कोई देश अपनी भौगोलिक सीमाओं का विस्तार करने के लिए पड़ोसी देशों की सीमाओं को बलपूर्वक हथियाने का प्रयास करे। साम्राज्यवादी चीन के सैनिक भारत से सटी सीमाओं पर इस तरह की अवैध गतिविधियां करते रहते हैं।

दो वर्ष पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीन के वुहान शहर में अनौपचारिक बातचीत हुई थी। बातचीत अनौपचारिक थी लिहाजा कोई एजेंडा नहीं था। चीनी राष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल तोड़कर जिस सभ्यता के साथ प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की थी और दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी, उससे यह आभास हुआ था कि वह भारत के साथ अपने संबंधों को नई ऊंचाई देना चाहते हैं। दोनों नेताओं के बीच यह सहमति बनी थी कि मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देंगे।

लेकिन उसके बाद ही चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमाओं में घुसैपठ करने की कोशिशें की हैं। फिलहाल पूर्वी लद्दाख की सीमा पर भारत-चीन के सैनिकों के बीच तनातनी के बाद चीन के रुख में जो नरमी दिखाई दे रही है, वह उसकी पारंपरिक युद्ध रणनीति-एक कदम पीछे और दो कदम आगे बढ़ने का प्रभावी हिस्सा है। इसलिए भारत को हमेशा सतर्क रहना होगा। लेकिन दोनों देशों के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की स्थापना के लिए पारस्परिक वार्ता भी होती रहनी चाहिए। वार्ता से ही दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवादों को हल करने का मार्ग भी खलेगा।



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