बैकफुट पर आतंकी
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों आतंकवादियों के मारे जाने का सिलसिला जारी है।
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इस क्रम में रविवार को दक्षिण कमीर के शोपियां जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में पांच आतंकवादी मारे गए। पिछले दो सप्ताह में कश्मीर में करीब 24 आतंकी विभिन्न मुठभेड़ में मारे गए हैं। पिछले साल अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दरजा खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से आतंकवादियों की बौखलाहट स्वाभाविक है। हाल के दिनों में कश्मीर में आतंकवाद की घटनाएं इस बात को प्रतिबिंबित करती हैं कि आतंकवादी अपना अस्तित्व को बचाए रखने के लिए बेचैन हैं।
कश्मीर स्थित 15वीं कोर का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने जो कुछ कहा है कि उससे तो यही प्रतीत होता है। उनका कहना है कि आतंकवादियों को जनता से ज्यादा समर्थन नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि लोग हिंसा के चक्र से बाहर निकलना चाहते हैं। आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं के बारे में कोई अकाट्य प्रामाणिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके आधार पर यह निष्कर्ष निकालने में कोई संकोच भी नहीं किया जा सकता कि वहां आतंकी समूहों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में कमी आ रही है।
यह इस बात का प्रतीक है कि कश्मीर के लोगों ने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को सकारात्मक भाव से लिया है। यह उन ताकतों के लिए भी जवाब है, जो इस अनुच्छेद को बनाए रखने के पक्ष में थे। ऐसे में यह कश्मीर स्थित आतंकियों के लिए शुभ संकेत नहीं है, क्योंकि कैडर के अभाव में वे अपनी आतंकी गतिविधियों को अपेक्षा के अनुरूप नहीं चला सकते। लेकिन इसका अनिवार्यत: यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि कश्मीर से आतंकवाद का खतरा खत्म हो गया है। पाकिस्तान कतई नहीं चाहेगा कि कश्मीर में शांति बहाल हो।
अगर ऐसा हो गया, तो उसके भारत विरोधी एजेंडे की हवा निकल जाएगी। अगर सुरक्षा बलों के दबाव के कारण कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकी समूहों को अपनी कार्रवाई में विफलता बढ़ती गई, तो वे अपनी झुंझलाहट मिटाने के लिए शेष भारत को निशाना बनाने की साजिश रच कर सकते हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह सतर्क रहना होगा।
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