तूफान बाद का संकट

Last Updated 27 May 2020 12:21:52 AM IST

पश्चिम बंगाल में अम्फान चक्रवात प्रभावित कुछ इलाकों में बिजली-पानी सहित आवश्यक सेवाओं की बहाली को लेकर हो रहे जन प्रदर्शन चिंताजनक हैं।


तूफान बाद का संकट

हालांकि इतनी भारी क्षति के बाद स्थिति को सामान्य पटरी पर लाने में समय लगता है। राज्य सरकार के कहने पर कोलकाता और आसपास के इलाके में तैनात सेना तथा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान स्थिति को सामान्य करने के प्रयास में लगे हैं, पर कुछ बातें दूसरे विभागों को करनी हैं। कोलकाता जैसे शहर के कुछ भागों में छह दिन बाद तक बिजली, पानी, मोबाइल, इंटरनेट की बहाली न होना बताता है कि राज्य प्रशासन की ओर से जिस स्तर पर काम होना चाहिए उसमें कमी है।

एक ओर व्यापक क्षति और दूसरी और इस भीषण गर्मी में यदि बिजली पानी नहीं मिलेगी तो लोग क्या करेंगे? उसी तरह आज की स्थिति में यदि मोबाइल नहीं चले, इंटरनेट न हो तो जीवन काटना मुश्किल है। जिस तरह प्रदर्शनकारी आक्रोशित दिख रहे हैं, उखड़े हुए पेड़ों से मार्ग बाधित कर गाड़ियों का आवागमन रोक रहे हैं; उससे पता चलता है कि असंतोष और गुस्सा व्यापक पैमाने पर है। सेना की तैनाती का ममता बनर्जी का अनुरोध ही बताता है कि उनकी दृष्टि में स्थिति कितनी विकट होगी? राज्य में आधारभूत ढांचे और आवश्यक सेवाओं को बहाल करना बगैर सेना की मदद के संभव नहीं है।

किंतु मूल आधारभूत संरचना खड़ी होने तक त्वरित कदम के तहत कुछ चीजों के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। इसमें बिजली और पानी सबसे ऊपर है। कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने रविवार को प्रदेश में विद्युत वितरण के काम से जुड़ी दो संस्थाओं डब्ल्यूबीएसईड़ीसीएल और सीईएससी को चक्रवात प्रभावित इलाकों में बिजली बहाल करने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है।

चक्रवात के कारण बिजली के खंभे उखड़ गए, ट्रांसफार्मरों को नुकसान पहुंचा है और कई जगह पेड़ उखड़कर तारों पर गिर गए, जिससे कोलकाता समेत राज्य के कई हिस्सों में बिजली व्यवस्था बाधित हो गई है। पानी लोगों तक दूसरे उपायों से पहुंचाया जा सकता है। इसी तरह अन्य व्यवस्थाओं की स्थायी बहाली तक तात्कालिक उपाय के तहत कदम उठाए जाएं। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि शहरों का प्रदर्शन और संकट तो दिख जाता है लेकिन गांवों का नहीं। कल्पना की जा सकती है कि जब शहरों में यह यह हालत है तो गांवों का क्या होगा?



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