चिंता की बात
दिल्ली के जहांगीपुरी इलाके में एक परिवार और उससे जुड़े 26 लोगों का कोरोना संक्रमित होना ऐसी खतरे की घंटी है, जिसका संज्ञान हम सबको लेना चाहिए।
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वह इलाका पहले से हॉट स्पॉट में शामिल है। गलियां सील भी हैं। जाहिर है, कोरोना संक्रमण का प्रसार नहीं होना चाहिए। किंतु यदि सील होने के बावजूद आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करेंगे तो फिर कोरोना कभी भी और किसी समय आपको ग्रसित कर लेगा। वे ऐसे लोग हैं, जिनके घर एक-दूसरे से लगे हैं। वे आपस में मिलते रहे, एक-दूसरे के घर भी आते-जाते रहे। सरकार द्वारा किसी क्षेत्र को हॉट स्पॉट घोषित कर उसे सील कर देना ही पर्याप्त नहीं है।
हालांकि सील किए गए क्षेत्रों से किसी को बाहर जाने की अनुमति नहीं है। वहां पुलिस या अन्य सरकारी कर्मिंयों को उनके लिए आवश्यक सामानों की आपूर्ति करनी है। किंतु यह कई जगह टूटते देखा गया है। थोड़ा-बहुत सामान लेने की कुछ छूट देने की भी घटनाएं सामने आई हैं। इसे हर हाल में रोकना होगा। दूसरे, अंदर पुलिस एवं स्वास्थ्यकर्मी लगातार प्रचार करें कि उनके लिए एक-दूसरे से मिलना या एक-दूसरे के यहां जाना उनको कोरोना के शिकंजे में फंस जाना है। जहांगीपुरी का उदाहरण दिया जाए। कोई निकल रहा हो तो उसे समझाने की कोशिश की जाए।
न मानने पर कानूनी कार्रवाई हो। लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सख्ती करने में कोई समस्या नहीं है। हालांकि यह अत्यंत कठिन है। किसी मुहल्ले के एक-एक घर पर नजर रखना तथा बिल्कुल पड़ोसियों से मिलने-जुलने से रोकना आसानी से संभव नहीं हो सकता। किंतु जहांगीपुरी की घटना यह बताती है कि ऐसा न किए जाने से स्थिति कितनी विस्फोटक हो सकती है। कल्पना करिए, अगर दिल्ली की कई सारी गलियों में एक साथ ऐसा हो जाए तो फिर क्या स्थिति होगी?
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने ठीक ही कहा है कि उस स्थिति में हमारे अस्पताल और चिकित्सा उपकरण कम पड़ जाएंगे। एक जिम्मेवार नागरिक के नाते हम सबको भी समझना होगा कि यह हमारी, हमारे परिवार, रिश्तेदार सबकी जिंदगी का सवाल है। इसमें अपने पर काबू रखना तथा पूरे परिवार को तसल्ली देते हुए घर के अंदर भी दूरी बनाकर व्यस्त रहने का रास्ता निकालना होगा। इसके विपरीत हम जो कुछ करेंगे, वह अपने लिए कोरोना वायरस को आने का निमंतण्रदेना होगा।
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