चीन के निवेश पर नजर

Last Updated 20 Apr 2020 12:22:28 AM IST

नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा भारतीय कंपनियों में पड़ोसी देशों के विदेशी निवेश के नियमों में किया गया बदलाव काफी महत्त्वपूर्ण है।


चीन के निवेश पर नजर

जैसा हम जानते हैं पिछले दिनों पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एचडीएफसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी 0.8 प्रतिशत से बढ़ाकर एक प्रतिशत कर लिया था। दरअसल, शेयर बाजारों में गिरावट तथा कंपनियों की बिगड़ती स्थिति का लाभ उठाकर चीन इस कोशिश में है कि भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा लिया जाए। इसने सारी दुनिया को चौकन्ना कर दिया है। नये नियम के तहत भारत की सीमा से जुड़े किसी भी देश की कंपनी को भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पहले केंद्र की मंजूरी लेनी होगी। भारत से चीन, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार व अफगानिस्तान की सीमाएं लगती हैं।

केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गैर भारतीय इकाई सरकार की विदेश नीति के तहत उन सभी सेक्टर में निवेश कर सकती है, जिसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है, लेकिन किसी ऐसे देश की इकाई या नागरिक, जिसकी जमीनी सीमा भारत से लगती हो, वह सरकारी रूट के जरिये ही निवेश कर सकेगा। विदेशी निवेश करने के दो रास्ते हैं-एक; स्वचालित रूट और दूसरा मंजूरी प्रक्रिया के द्वारा। स्वचालित रूट में सरकार की तरफ से नियम तय हैं, जिनके अनुसार निवेश किया जाता है।

इसके लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती है। नये नियम के बाद सरकार वैसे किसी भी निवेश प्रस्ताव की पहले समीक्षा करेगी, जिसमें चीन की किसी भी कंपनी या ऐसी कंपनी जिसमें किसी चीनी नागरिक की इक्विटी हो। यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि इसके सीधे निशाने पर चीन है। साफ कर दिया गया है कि चीन की प्रत्यक्ष या परोक्ष वर्तमान संकट का लाभ उठाकर भारतीय कंपनियों को अधिग्रहित करने की नीति सफल नहीं होने दी जाएगी। वैसे खबर यह है कि नया नियम 10 प्रतिशत या उससे ज्यादा की हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव पर ही लागू होगा।

ऐसा है तो इसमें भी बदलाव करना होगा। हालांकि जब सरकार ने अनुमति का निर्णय अपने हाथों ले लिया है तो इसकी भी समीक्षा अवश्य की जाएगी कि किसी कंपनी के 10 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का क्या असर होगा। रक्षा और अंतरिक्ष सहित 17 क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील घोषित हैं, जिनमें निश्चित सीमा से ज्यादा निवेश के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य है।



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